Uttarakhand News: उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सचिव पंचायतीराज ने साफ की तस्वीर

देहरादून। सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार ने अवगत कराया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था से संबंधित नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) की प्रक्रिया गतिमान है।
उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा वर्तमान में पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया पर अंतरिम आदेश (स्थगन) पारित किया गया है, जिसकी समुचित रूप से अनुपालना की जा रही है।
सचिव पंचायतीराज ने कहा कि आरक्षण नियमावली 2025 की गजट नोटिफिकेशन की प्रति प्रिंटिंग के लिए राजकीय प्रेस रुड़की में गतिमान है, जिसे शीघ्र जारी कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि स्थिति से अवगत कराते हुए उचित न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार न्यायालय की पूर्ण गरिमा एवं निर्देशों का सम्मान करते हुए पंचायतीराज व्यवस्था को संविधान व विधि सम्मत रूप से संचालित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
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हाईकोर्ट ने लगाई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में रोक
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार की ओर से 11 जून को जारी आरक्षण आदेश पर रोक लगा दी है। मामले में सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अब तक के पंचायत चुनावों में पूर्व में लागू हुए आरक्षण को शून्य मानते हुए इस वर्ष से प्रथम आरक्षण लागू माना जायेगा। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी और इसी के साथ आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई थी। सरकार के इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई।
इससे पूर्व हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार से संबंधित नियमावली व 11 जून को जारी आदेश पर जबाव मांगा था। सरकार के जवाब से संतुष्ट न होने पर हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट के इस निर्णय से फिलहाल राज्य में पंचायत चुनावन पर ब्रेक लग गया है।
बता दें कि, बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में ये याचिकाएं दायर की हैं। इनमें कहा है कि सरकार ने बीती नौ जून को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई। साथ ही 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव के लिए लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया है। जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी, वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। इस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं। इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खंडपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है। सरकार की ओर से आगे बताया गया कि एकलपीठ के समक्ष केवल नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख वाले 11 जून के आदेश को चुनौती दी गई है।
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