Uttarakhand News: उत्तराखंड में पहली बार सस्पेंड हुआ कोई डीएम

हरिद्वार में जमीन घोटाले को लेकर धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई

देहरादून। हरिद्वार जमीन खरीद मामले में लापरवाही का खामियाजा आखिरकार डीएम कर्मेंद्र सिंह को भुगतना पड़ गया, लाखों की जमीन करोड़ों में खरीदने वाले इस बड़े घोटाले में जांच अधिकारी ने जिलाधिकारी को लापरवाही और अनदेखी करने का दोषी पाया है ,इसके बाद हरिद्वार के डीएम कर्मेंद्र सिंह को सस्पेंड करके सचिव कार्मिक एवं सतर्कता विभाग उत्तराखंड शासन के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
उत्तराखंड में पहली बार सस्पेंड हुआ कोई डीएम: ये दूसरा मामला है जब जिलाधिकारी के पद पर रहते हुए उत्तराखंड में किसी आईएएस अधिकारी पर कार्रवाई हुई है ,डीएम को सस्पेंड करने का ये पहला मामला है , इससे पहले पटवारी भर्ती घोटाले में डीएम का टर्मिनेशन हुआ था , तब तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी के समय पौड़ी के डीएम लाम्बा बर्खास्त किये गए गए थे।
हरिद्वार में जमीन घोटाले को लेकर धामी सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए कई बड़े अफसरों पर कार्रवाई की है। इस मामले में दो IAS और एक PCS अफसर सहित कुल 12 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदा गया। यह घोटाला हरिद्वार नगर निगम में हुआ। निगम ने एक ऐसी जमीन खरीदी जो किसी काम की नहीं थी। उसे भी बहुत ऊंचे दाम पर खरीदा गया। जमीन की कोई खास जरूरत भी नहीं थी। खरीद में नियमों का भी पालन नहीं किया गया। ऐसा लगता है कि नियमों को ताक पर रखकर यह घोटाला किया गया।
जांच के बाद रिपोर्ट मिलते ही सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगो राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास, और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी सस्पेंड किया गया है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
पहले आपको बताते हैं कि पूरा मामला दरअसल है क्या। यह केस हरिद्वार नगर निगम की ओर से खरीदी गई 35 बीघा जमीन से जुड़ा है। बताया गया कि यह जमीन शहर के पास एख कूड़े के ढेर के पास है। यह जमीन मूलरूप से खेती-किसानी से जुड़ी है। अब इस मामले में आरोप है कि इस जमीन की न तो कोई उपयोगिता थी और न ही तत्काल कोई जरूरत थी। इसके बाद भी देहरादून नगर निगम ने इसे 54 करोड़ में खरीद लिया।
इसमें खास बात यह है कि जमीन का सर्किल रेट उस वक्त करीब 6 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर था,कीमत के हिसाब से यह लगभग 15 करोड़ की होनी चाहिए थी,लेकिन इसे ज्यादा कीमत पर खरीदा गया यानी 54 करोड़ में इसकी खरीद हुई। इसमें यह भी आरोप है कि प्रक्रिया में टेंडर की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई जोकि सरकारी खरीद नियमों का सीधा उल्लंघन माना जाता है।
नगर निगम हरिद्वार भूमि घोटाला प्रकरण की होगी विजिलेंस जांच
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्पष्ट निर्देशों के क्रम में नगर निगम हरिद्वार में सामने आए भूमि घोटाले में कठोर कार्रवाई की गई है। जांच में दोषी पाए गए 10 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि 2 कार्मिकों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग (Vigilance Department) से कराए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि दोषियों की पूरी श्रृंखला का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे।
इसके अतिरिक्त, उक्त भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र (Sale Deed) को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त श्री वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


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