Uttarakhand News: पत्नी के हत्यारे को मिली आजीवन कारावास की सजा
द्वितीय एडीजे की अदालत ने सुनाई पत्नी के हत्या के दोषी को आजीवन कारावास की सजा
उधम सिंह नगर: द्वितीय एडीजे की अदालत ने पत्नी की हत्या करने के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने पति और उसके भतीजे को साक्ष्य मिटाने के आरोप में तीन-तीन साल के कारावास और पांच-पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जेल में बिताई अवधि सजा में समायोजित होगी।
विदित हो कि 12 फरवरी, 2020 की शाम जसपुर पुलिस को अफजलगढ़ रोड स्थित एलबीएस कॉलेज के पास गन्ने के खेत से एक महिला का शव मिला था। मृतका की शिनाख्त जसवीर कौर उर्फ सिमरन कौर पत्नी हरविंदर सिंह उर्फ हैप्पी के रूप में हुई थी। मौके से मृतका का पर्स, मोबाइल, एक जूता, मेकअप का सामान व कुछ आपत्तिजनक वस्तुएं भी बरामद हुई थीं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जसवीर की मौत मुंह दबाने की वजह से होना बताई गई थी। मृतका के भाई राजेंद्र सिंह ने अपने जीजा हरविंदर उर्फ हैप्पी, उसके पिता चरणजीत सिंह, देवर हरजीत व तरनजीत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
रिपोर्ट में कहा गया था कि आठ फरवरी को जसवीर का अपने पति हैप्पी से झगड़ा हुआ तो हैप्पी ने उसका मोबाइल छीनकर रख लिया। 11 फरवरी की रात हुए विवाद के दौरान हैप्पी ने मुंह दबाकर जसवीर कौर की हत्या कर दी और पिता और भाइयों की मदद से शव को ले जाकर गन्ने के खेत में फेंक दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी पति हरविंदर सिंह, ससुर चरणजीत सिंह और तरनजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में पुलिस ने चौथे आरोपी हरजीत को भी गिरफ्तार कर लिया।
तत्कालीन कोतवाल उम्मेद सिंह दानू ने केस की विवेचना कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। वाद का परीक्षण एडीजे द्वितीय की अदालत में हुआ। अभियोजन पक्ष की ओर से 19 गवाहों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी एडीजीसी अनिल कुमार सिंह ने की। संबंधित पक्षों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन कर एडीजे द्वितीय रीतेश कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी पति हरविंदर सिंह हैप्पी को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर 20 हजार रूपए का जुर्माना भी डाला है। अदालत ने हैप्पी व उसके भतीजे तरनवीर सिंह को साक्ष्य मिटाने का आरोपी मानते हुए उन्हें तीन-तीन वर्ष के कारावास और पांच-पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी ससुर चरनजीत व हरजीत सिंह को साक्ष्यों के आधार पर दोषमुक्त कर दिया।
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