Uttarakhand: भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का सबसे बड़ा एक्शन, दो IAS और एक PCS अधिकारी सहित 12 लोग सस्पेंड

देहरादून। Big News Uttarakhand: उत्तराखंड से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है , धामी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक कार्रवाई करते हुए दो आईएएस और एक पीसीएस अफसर सहित 12 सरकारी कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है।
उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगी। देहरादून और हरिद्वार में सामने आए बहुचर्चित भूमि घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकार ने 03 वरिष्ठ अधिकारियों सहित 12 लोगों को निलंबित कर दिया है। इस कार्रवाई के तहत हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, आईएएस अधिकारी वरुण चौधरी, और पीसीएस अधिकारी जयवीर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
इसके साथ ही निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार), विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक), राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगों), कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार को भी जमीन घोटाले में संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया है।
हरिद्वार जिले में जमीन की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की शिकायतें पिछले कुछ समय से सामने आ रही थीं। जांच में इन शिकायतों की पुष्टि होने पर शासन ने यह कड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि घोटाले में करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन को निजी हित में ट्रांसफर किया गया और सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं।
इस कार्रवाई से यह संदेश साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर गंभीरता से अमल कर रहे हैं। अब तक यह धारणा बनी हुई थी कि सरकारें केवल छोटे कर्मचारियों और अधिकारियों पर ही कार्रवाई करती हैं जबकि ऊंचे पदों पर बैठे अफसर बच निकलते हैं। मगर इस मामले में वरिष्ठ आईएएस और पीसीएस अधिकारियों पर भी सीधी कार्रवाई करते हुए इस धारणा को तोड़ दिया गया है।
मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व में भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना उनकी प्राथमिकता है और इसमें कोई भी बाधा बनता है, चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यही वजह है कि शासन ने बिना किसी देरी के यह निर्णय लिया और तीनों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
सूत्रों के अनुसार, भूमि घोटाले से संबंधित दस्तावेजों और सरकारी रिकॉर्ड की जांच में यह सामने आया कि नियमों को ताक पर रखकर जमीनों के सौदे किए गए। शासन ने इस मामले की गहराई से जांच कराने और दोषियों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा दिलाने की बात कही है।
इस कार्रवाई को राज्य के प्रशासनिक इतिहास में एक मजबूत उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल अधिकारियों में जवाबदेही की भावना मजबूत होगी, बल्कि जनता के बीच सरकार की छवि भी एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासक की बनेगी।
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जांच के बाद रिपोर्ट मिलते ही बड़ी कार्रवाई करते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया। साथ ही वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगों राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास, और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी निलंबित किया गया।
उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्ता में बैठी सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे शीर्ष अधिकारियों पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है। हरिद्वार ज़मीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिए गए निर्णय केवल एक घोटाले के पर्दाफाश की कार्रवाई नहीं, बल्कि उत्तराखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति में एक निर्णायक बदलाव का संकेत हैं।
पहले चरण में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को भी सस्पेंड किया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।


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