रक्षाबंधन : जानिए रक्षासूत्र का महत्व और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
हल्द्वानी। हिन्दुओं एवं भाई बहन के अटूट बन्धन का प्रमुख त्यौहार रक्षाबन्धन श्रावण माह के पूर्णिमा तिथी के दिन धूम- धाम से मनाया जाता है हर साल बहन अपने भाई की कलाई में विधी अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बन्धन कहलाता है ।
शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने बताया कि भगवान इंद्र को भी रक्षाबन्धन से मिली थी जीत भविष्यपुराण में ऐसा कहा गया है कि देवाताओं और दैत्यों के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया बलि नाम के असुर ने भगवान इंद्र को हरा दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया तब इंद्र की पत्नी सची मदद का आग्रह लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंची भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना सची ने ऐसा किया उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की इसके बाद भगवान इंद्र ने बलि को हरा कर अमरावती पर अपना अधिकार किया।
जिस दिन इंद्राणी शची ने देवराज की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था उस दिन श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि थी। इस सूत्र को बांधकर देवराज इंद्र जब युद्ध के मैदान में उतरे तो उनका साहस और बल अद्भुत दिख रहा था। देवराज इंद्र ने वृत्रासुर का वध कर दिया और फिर से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। यह कहानी इस बात की ओर संकेत करती है कि पति और सुहाग की रक्षा के लिए श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन पत्नी को भी पति की कलाई में रक्षासूत्र बांधना चाहिए। शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने कहा कि जो बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर सुरक्षा की कामना करती है उनकी सुरक्षा भगवान विष्णु स्वयं करते है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
शास्त्री महेश चन्द्र जोशी ने बताया की इस वर्ष रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मूहूर्त प्रातः 6 बजकर 13 मिनट के बाद पूरे दिन भर रक्षा बन्धन बांधने का शुभ मूहूर्त रहेगा।
इस बार भद्रा सूर्य उदय से प्रातः काल 6:13 बजे तक ही रहेगी। इसलिए इस समय तक राखी बिल्कुल न बांधे इसके बाद पूरे दिन त्योहार मनाया जा सकेगा। इस बार पंचाग के मुताबिक पूर्णिमा पूरे दिन रहकर रात्रि 9.29 बजे समाप्त होगी।
राखी बांधने का मुहूर्त
-प्रातः 6.13 बजे के बाद पूरे दिन रहेगा राखी बांधने का मुहूर्त, प्रातः 6.13 बजे के बाद नहीं होगा भद्रा का साया-

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