Holi 2025: होली पर्व पर मां बगलामुखी साधना – हवन , सत्य साधक ने दी शुभकामनाएं और संदेश

ब्रह्मांड के सभी जीवों के कल्याण की कामना
लखनऊ। होली पर्व पर सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरु जी ने श्रावस्ती जिले के राप्ती नदी तट पर मां बगलामुखी की साधना और हवन यज्ञ का आयोजन किया। 13 मार्च की रात से 14 मार्च तक साधना के उपरांत हवन यज्ञ में लोक कल्याण की कामना की गई। इस दौरान सत्य साधक गुरु जी ने सभी भक्तजनों को होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया है।
इस दौरान गुरु जी ने ब्रह्मांड के सभी जीवों के कल्याण की कामना जगत जननी मां पीतांबरी से करते हुए अपने संदेश में कहा कि होली का यह पावन पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसको नहीं जलाएगी। हिरण्यकशिपु ने होलिका को आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि चिता पर बैठ जाए जिससे प्रह्लाद भस्म हो जाएगा। हिरण्यकशिपु की इस योजना को भगवान ने असफल कर दिया और प्रह्लाद को बचा लिया। गुरु जी ने कहा होली का पावन पर्व स्मरण कराता है कि भगवान अपने शरणागत जीवों का योगक्षेम वहन करते हैं। इस दिन हमको भक्त प्रह्लाद की दृढ़ भक्ति के आदर्श का पालन करने का प्रण लेना चहिये। निष्काम भक्ति करने के लिए हर क्षण भगवान से प्रेम करते हुए उनके चिंतन में ही बिताना चाहिए जिससे भगवान हम पर कृपा करके हमको अपने परम चरम लक्ष्य की प्राप्ति करवा सकें। अतः साधक को सदैव दिव्यानंद प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। भक्त प्रह्लाद की भांति निष्काम भक्ति से दिव्यानंद प्राप्त होगा।
गुरु जी ने कहा मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ होता है कब छिन् जाय पता नहीं। इसीलिए, छोटी आयु से ही भगवान की भक्ति शुरू कर देनी चाहिए।” अभी क्या उमर है भक्ति करने की, अभी तो पढ़ना है, नौकरी करनी है, जब बूढ़े हो जाएँगे तब करेंगे। ऐसा सोचकर भक्ति नहीं किया तो क्या पता बुढ़ापा आये या ना आये।
गुरु जी ने कहा कामनाएं ही हमारे दुखों का कारण है। साधारण बुद्धि से कामनाओं का अभाव होने से दुःख समाप्त हो जायेंगे। किंतु कामनाओं का अभाव होना स्वभाव के विपरीत है अतः अप्राप्य है, तथापि जीव अपने सुखों की इच्छाओं का त्याग करके यदि अपने प्रभु के सुख की इच्छा से सेवा करे तो वह जीव भगवान की कृपा प्राप्त कर सकता है। यद्यपि भगवान पूर्ण काम हैं तथापि भगवान प्रयोजन देख कर उस जीव पर कृपा कर देते हैं। गोपियों की एकमात्र इच्छा भगवान श्री कृष्ण को सुख देने की ही थी अतः श्री कृष्ण भगवान गोपियों की विशुद्ध निष्काम भक्ति के कारण उनके सदैव ऋणी रहते हैं।
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