उत्तराखंड: भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब
देहरादून/ हल्द्वानी। उत्तराखंड में मानसून ने जोर पकड़ लिया है, पिछले 24 घंटे से लगातार हो रही भारी बारिश के चलते गंगा, अलकनंदा ,काली ,सरयू ,रामगंगा समेत तमाम नदियां उफान पर है। बारिश ने अलकनंदा समेत कई नदियों के जलस्तर को खतरे के निशान तक पहुंचा दिया है।
पिथौरागढ़ जिले में भारी बारिश से लोग बेहाल हैं। घाट, तवाघाट घटियाबगड़ के साथ घटियाबगड़ लिपूलेख तीन प्रमुख सड़कें बंद हैं। मुनस्यारी में गोरी नदी के उफान पर होने से एक हाइड्रा मशीन व 10से अधिक गार्डर बहे हैं। काली नदी खतरे के निशान से उपर बह रही है, जिससे नदी किनारे की आबादी में दहशत है।काली 889,60मीटर पर बह रही है। चेतावनी स्तर 889 मीटर है। गोरी का चेतावनी स्तर 606,80 मीटर है, गोरी 605.65 मीटर पर बह रही है, रामगंगा व सरयू का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा है। लुमती में गोरी नदी में पानी बढ़ जाने से नदी का पानी सड़क तक पहुंच गया है।जिससे कई वाहन फंस गए हैं।
नदी में 200 मीटर के लंबे इलाके में पानी रूक गया है,8 घरों के आंगन तक पानी पहुंचने से लोग खतरे की आंशका में घर छोड़ जंगलों नकी तरफ गए।अभी भी पानी का आबादी की तरफ बढ़ने का खतरा बना हुआ है। दारमा में फिलम में भारी बारिश में एक पुल बह गया है, जिससे गांव में भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है-डीएम आनंद स्वरूप ने काली नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद संबंधित अधिकारियों को अलर्ट किया है।
कहा है कि किसी भी प्रकार की घटना को रोकने के लिए अधिकारी समन्वय से काम करें।नदी किनारे की आबादी व भवनों को यदि खतरा प्रतीत हो तो तत्काल उन्हें सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया जाए। जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर चिमड़ा नाले के मलबे ने गोरी नदी का प्रवाह रोक दिया है। नदी का प्रवाह थमने से यहां 200 मीटर से लंबी झील बन गई है, जिससे खतरा बढ़ गया है। झील बनने से आसमानी आफत के बीच नजदीकी गांव मल्ला व तल्ला घुरुड़ी पर खतरा मंडरा गया है। पहले से ही आपदा के जख्म सह रहे तल्ला घुरुड़ी के 8 परिवार इस बार भी खतरा भांप घर छोड़कर जंगलों की तरफ सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। समय रहते नदी का प्रवाह शुरू नहीं हु़आ तो यहां बनी झील बढ़ी त्रासदी की गवाह बन सकती है। जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर स्थित लुमती के पास चिमड़ा थौड़ नाला गोरी नदी में मिलता है। पिछले आपदाकाल में बारिश के साथ नाले से निकले मलबे ने गोरी नदी का प्रवाह रोक दिया था। लेकिन तब मलबे को पूरा साफ किए बगैर नदी का प्रवाह शुरू कराया गया। फिर से इस बार बारिश के साथ नाले से निकले मलबे ने नदी का प्रवाह रोक दिया है, जिससे यहां मोरी से लुमती तक 200 मीटर से अधिक लंबी झील बन गई है। इधर अल्मोड़ा ,बागेश्वर ,चंपावत जनपदों में भी भारी बारिश का समाचार है।
भारी बारिश से चमोली जिले में हाई अलर्ट
इधर चमोली जिले में भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए जिला प्रशासन ने तहसील स्तरों पर आईआरएस टीम को अलर्ट रहने के निर्देश जारी करे है। सभी अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में बने रहने तथा किसी भी आपदा या दुर्घटना की स्थिति में जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र चमोली के दूरभाष 01372-251437, 1077, 7830839443, 7055753124, 9068187120 तथा 7579004644 नंबरों पर सूचनाओं को आदान प्रदान करते हुए त्वरित स्थलीय कार्रवाई करने को कहा गया है। सड़क निर्माणदायी संस्थाओं को मोटर मार्ग अवरूद्व होने पर तत्काल खुलवाने हेतु उचित कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए है। समस्त जनपद वासियों को भी विशेष सर्तकता एवं सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

ऋषिकेश में गंगा नदी खतरे के निशान के करीब पहुंची, हाई अलर्ट
पर्वतीय क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से गंगा की सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जिससे गंगा भी उफान पर है। ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा के नजदीक पहुंच गया है। प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए गंगा के तटीय क्षेत्र को खाली करा दिया है। लक्ष्मण झूला और मुनिकीरेती सहित रायवाला तक प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है।
पर्वतीय क्षेत्र में भारी वर्षा को देखते हुए मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया था। गंगा की सहायक नदियां पिंडर और अलकनंदा में अत्यधिक पानी आने की सूचना केंद्रीय जल आयोग को मिली है। गंगा की सहायक नदियों का जल स्तर बढ़ने से इसका असर गंगा के जलस्तर पर सीधा देखा गया है।
शुक्रवार की शाम ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर बढ़ना शुरू हुआ, रात्रि आठ बजे यहां गंगा चेतावनी रेखा 339.50 मीटर से करीब आधा मीटर नीचे बह रही थी। केंद्रीय जल आयोग ने देर रात तक गंगा का जलस्तर और अधिक बढ़ने की चेतावनी जारी की है। जिसके बाद शासन और प्रशासन हरकत में आ गया।
जनपद पौड़ी के लक्ष्मण झूला क्षेत्र, जनपद टिहरी के मुनिकीरेती क्षेत्र, जनपद देहरादून के ऋषिकेश और रायवाला क्षेत्र तक प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। गंगा तट पर बसे सभी लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कह दिया गया है। त्रिवेणी घाट में करीब 300 बेसहारा लोग रहते हैं। यहां आरती स्थल में जलजमाव हो गया है। पानी पक्के प्लेटफार्म की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
घाट पर रहने वाले सभी बेसहारा व्यक्तियों को यहां से हटा दिया गया है। समीप धर्मशाला में इनके लिए कमरे खुलवाए गए हैं। मायाकुंड और चंद्रेश्वर नगर क्षेत्र में भी पुलिस की टीम ने जाकर मुनादी करा दी है। आपदा प्रबंधन दल और जल पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया है। दोनों ही दल के जवान गंगा तट पर घूम कर यहां रहने वाले नागरिकों को सावधान कर रहे हैं।

घाट-पिथौरागढ़ मार्ग 66 घंटे बाद खुला
पिथौरागढ़ की लाइफ लाइन घाट-पिथौरागढ़ रोड करीब 66 घंटे बाद शुक्रवार शाम खुल गया।
इससे लंबे समय से मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे लोगों ने राहत की सांस ली।
दूसरी ओर लगातार हो रही बारिश के बीच शुक्रवार को जौलजीबी-मुनस्यारी और थल-मुनस्यारी रोड के साथ ही चार-पांच ग्रामीण सड़कें बंद हो गईं, जबकि मुनस्यारी, धारचूला सहित विभिन्न जगहों पर भारी बारिश से संपर्क मार्गों, पुलों और खेती-बाड़ी को काफी नुकसान होने की सूचना है।
इधर नैनीताल जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते गौला नदी समेत तमाम नदी नाले उफान पर है। बारिश से पर्वतीय क्षेत्रों में भारी नुकसान के भी समाचार मिले हैं लेकिन अभी तक किसी भी जान माल के नुकसान की खबर नहीं है।

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