चंपावत: ग्रामोत्थान की अल्ट्रापुअर योजना से उषा बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

डेरी उद्योग में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, पोषण सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ला रही है सकारात्मक बदलाव
Champawat News- विकासखंड लोहाघाट के सुदूर ग्राम बलाई की निवासी उषा मनराल, आज ग्रामीण महिला उद्यमिता की मिसाल बन चुकी हैं। सीमित संसाधनों और विषम परिस्थितियों के बीच उन्होंने जो संकल्प लिया, उसमें ग्रामोत्थान परियोजना के “अल्ट्रा पुअर योजना” ने उनके सपनों को पंख दे दिए।
बलाई गाँव, लोहाघाट से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक दुर्गम क्षेत्र है, जहां आज भी कई बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। अधिकांश ग्रामीण कृषि आधारित कार्यों पर निर्भर हैं। श्रीमती उषा गांव में सक्रिय सिद्ध बाबा स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, जो ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत पंजीकृत मनसा संकुल संघ से जुड़ा है।
ग्रामोत्थान परियोजना, आईएफएडी (IFAD) द्वारा वित्त पोषित एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की आय को दोगुना करना, पलायन को रोकना और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
समूह की एक बैठक के दौरान श्रीमती उषा की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें “अल्ट्रा पुअर” योजना के लिए चयनित किया गया। योजना के तहत आवश्यक सत्यापन के बाद उनके खाते में ₹35,000 की ब्याजमुक्त वित्तीय सहायता स्थानांतरित की गई, जिससे उन्होंने एक अच्छी नस्ल की जर्सी गाय खरीदी।
इस सहायता से पहले श्रीमती उषा प्रतिदिन मात्र 3-4 लीटर दूध का उत्पादन करती थीं, जबकि अब वह प्रतिदिन 15-20 लीटर दूध का उत्पादन कर रही हैं। दूध की बिक्री से उन्हें लगभग ₹19,000 प्रति माह की आय हो रही है, जिससे उनका परिवार न केवल आर्थिक रूप से सक्षम हुआ है, बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति भी संभव हो पाई है।
पशुपालन में नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में भी श्रीमती उषा रुचि दिखा रही हैं। उनका यह प्रयास यह सिद्ध करता है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से ग्रामीण महिलाएं किस प्रकार आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकती हैं।
उषा कहती हैं –
“इस योजना से मुझे न सिर्फ आर्थिक सहायता मिली, बल्कि आत्मविश्वास भी मिला है। अब मैं अपने बच्चों और परिवार के बेहतर भविष्य का सपना देख सकती हूँ। ऐसी योजनाएं हमारे जैसे परिवारों को आगे बढ़ने का हौसला देती हैं।”
ग्रामोत्थान परियोजना की ‘अल्ट्रा पुअर योजना’ न केवल व्यक्तिगत जीवन में बदलाव ला रही है, बल्कि ग्रामीण समाज में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की एक मजबूत आधारशिला भी रख रही है। ऐसी योजनाओं का विस्तार और निरंतरता, आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की दिशा में एक निर्णायक कदम है।


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