माता-पिता को दुख देने वाला कभी भी सुखी नहीं रह सकता: सत्य साधक गुरुजी
लखनऊ। जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी ने भक्तजनों को संबोधित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि माता-पिता को दुख देने वाला इस ब्रह्मांड में कहीं भी और कभी भी सुखी नहीं रह सकता है।
गुरु जी ने ‘मां’ का बखान करते हुए कहा कि एक मां जिसके सिर पर हाथ रख देती है उस व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी अपने मां-बाप को भूलाकर उन्हें तकलीफ दे रही है। ऐसे लोग अपने जीवन में कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकते।
सत्य साधक गुरुजी ने कहा कि वैदिक परंपरा के अनुसार ब्रह्मा संसार का सृजन करने वाले, विष्णु उसका पालन करने वाले अैर भगवान शिव पृथ्वी पर पाप ज्यादा बढ़ जाने पर उसका विनाश करते हैं। सत्य साधक गुरुजी ने कहा कि इस धरती पर जो भी आया है उसे मां-बाप ने बनाया है। इसलिए मां ही ब्रम्हा, विष्णु और महेश है।
मां के चरण स्पर्श से बुरा समय अपने आप दूर हो जाता है। एक मां अपने बच्चे को अंधेरे में भी पहचान लेती है और उसके अंदर छूपे हुए दर्द को भी जान लेती है। उन्होंने कहा कि मैंने जितनी तपस्या संत बनने के लिए की है उससे कई गुना ज्यादा तपस्या मेरी मां ने मेरा पालन-पोषण करने में की थी। गुरु जी ने कहा कि आशीर्वाद मांगने या सिर पर हाथ रखने से नहीं मिलता। बल्कि किसी को श्रृद्धा भाव के साथ नमन करना ही आशीर्वाद है।
माता-पिता की सेवा से कोई नहीं है बड़ा धर्म: गुरु जी
सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरु जी ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। भगवान गणेश जी ने माता-पिता की परिक्रमा को ही ब्रह्मांड की परिक्रमा माना था और संसार में प्रथम पूज्य का स्थान प्राप्त किया था। माता-पिता की सेवा करने वाले गणपति के समान बुद्धिमान बनते हैं। माता-पिता की सेवा और उनके आशीर्वाद के बिना जीवन अधूरा है। यह हमारे संस्कार भी हैं और संस्कृति भी।
माता पिता की सेवा ही भगवान की सच्ची पूजा: सत्य साधक गुरुजी
गुरु जी ने कहा कि माता पिता की सेवा को ही प्राथमिकता दे। क्योंकि माता पिता की सेवा से भगवान स्वतः प्रसन्न हो जाते हैं। माता पिता को ही भगवान मानकर उनकी ही सेवा पूजा करनी चाहिए क्योंकि जिन माता पिता ने आपको जन्म दिया पाला पोसा आपको लायक बनाया संस्कार दिए भला उन माता पिता से बढ़कर कौन हो सकता है। भगवान के प्रति आस्था श्रद्धा विश्वास रखना पर्याप्त है बाकी पूजा और सेवा तो माता पिता की करनी चाहिए और भगवान को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने आपको ऐसे माता पिता दिए जो आपसे बेहद प्रेम करते हैं और आपकी हर मनोकामना पूरी करने को सदैव तैयार रहते हैं साथ ही भगवान से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि माता पिता का साथ और आशीर्वाद आप पर सदा बना रहे।
गुरु जी ने अंत में कहा कि अगर दुनिया में कोई भी अपने पास नहीं होगा तो चलेगा लेकिन मां-बाप नहीं होंगे तो दुनिया अनाथ कहेगी। इस संसार में हर वस्तु खोने के बाद दूबारा मिल जाती है लेकिन एक मां-बाप ही है जिन्हें एक बार खोने के बाद दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। गुरु जी ने सभी भक्तजनों को अपने जीवन में माता-पिता को कभी भी दुखी नहीं करने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि कहा कि बड़े भाग्य से मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है इसलिए इस शरीर के माध्यम से पुण्य कर्म कमाने चाहिए, ताकि बार बार जन्म लेने से मुक्ति मिल सके तथा मोक्ष की प्राप्ति संभव हो सके।

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