Uttarakhand Cabinet: धामी कैबिनेट बैठक में हुए आज बड़े फैसले , पढ़िए

देहरादून। Uttarakhand Cabinet Meeting Decision Today: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज रविवार को उत्तराखंड राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई ,जिसमें पांच प्रस्ताव पर कैबिनेट ने अपनी सहमति जताई।
कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण गठित होगा। कैबिनेट ने इस सिलसिले में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम विधेयक को मंजूरी दी।
विधानसभा के आगामी सत्र में यह विधेयक लाया जएगा। अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को मिलता था, अब मुस्लिम के साथ सिख, जैन ईसाई, बौद्ध व पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी। यह देश का ऐसा पहला अधिनियम होगा, जिसका उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने की पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करना है।
इसके अलावा यूसीसी में विवाह पंजीकरण में संशोधन अध्यादेश को विधेयक के रूप में सदन में पेश करने, लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी शासनादेश के स्थान पर अधिनियम लाने, साक्षी सुरक्षा अधिनियम के स्थान पर नई स्कीम लाने और पेयजल निगम के वार्षिक प्रतिवेदन को सदन के पटल पर रखने के प्रस्तावों पर भी कैबिनेट ने मुहर लगाई है।
इसके अलावा आगामी 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में आने वाले कई प्रस्ताव को लेकर भी कैबिनेट में चर्चा की गई है।
कैबिनेट में हुआ आज ऐतिहासिक निर्णय
उत्तराखंड कैबिनेट ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसमें यह तय किया गया है कि आगामी विधानसभा सत्र में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम, 2025 लाया जाएगा। अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को मिलता था। प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत अब अन्य अल्पसंख्यक समुदायों जैसे- सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी। यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा जिसका उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने हेतु पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करना है, साथ ही शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ –*
*1 – प्राधिकरण का गठन राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्रदान करेगा।
*2 – अनिवार्य मान्यता – * मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन या पारसी
समुदाय द्वारा स्थापित किसी भी शैक्षिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा पाने हेतु प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
*3 – संस्थागत अधिकारों की सुरक्षा * अधिनियम अल्पसंख्यक शैक्षिक
संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता बनी रहे।
4 – अनिवार्य शर्तें – मान्यता प्राप्त करने हेतु शैक्षिक संस्थान का
सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण होना आवश्यक है। भूमि, बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियाँ संस्थान के नाम पर होनी चाहिए। वित्तीय गड़बड़ी, पारदर्शिता की कमी या धार्मिक एवं सामाजिक सद्भावना के विरुद्ध गतिविधियों की स्थिति में मान्यता वापस ली जा सकती है।
*5 – निगरानी एवं परीक्षा – * प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार दी जाए और विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो।
अधिनियम का प्रभाव – *
राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को अब पारदर्शी प्रक्रिय के माध्यम से मान्यता मिलेगी।
शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।
राज्य सरकार के पास संस्थानों के संचालन की निगरानी करने और समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी करने की शक्ति होगी।
तो क्या हटाने जा रही है धामी सरकार देवभूमि से मदरसा व्यवस्था ?
कैबिनेट ने लिया महत्वपूर्ण फैसला,
उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण की होगी स्थापना
देहरादून
पुष्कर सिंह धामी सरकार ,देवभूमि उत्तराखंड से मदरसा शिक्षा व्यवस्था को हटाने की तैयारी कर रही है।इसके लिए उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण की स्थापना करने का फैसला धामी कैबिनेट ने लिया है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 452 पंजीकृत मदरसे है इसके अलावा 5 सौ से अधिक मदरसे गैर कानूनी रूप से चल रहे थे जिनमें से 237 पर सरकार ने ताला डाल दिया है, स्मरण रहे कि पिछले दिनों उत्तराखंड के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मदरसों के छात्रों को मिलने वाली केंद्रीय छात्रवृति में भी भारी अनियमितताएं पकड़ी थी और मिड डे मील को लेकर भी गड़बड़ियां पाई थी।
इन्हीं विषयों के मद्देनजर धामी सरकार ने मदरसा व्यवस्था को अपने अधीन रखने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराया है। माना ये जा रहा है कि भविष्य में उत्तराखंड में मदरसा शिक्षा व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और इसका स्थान उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था ले लेगी।




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