उत्तराखंड – पहाड़ की दो और बेटियां बनी सेना में अफसर ,आप भी दीजिए बधाई
उत्तराखंड की दो बेटियां राखी चौहान और अंजलि गोस्वामी बनी सेना में लेफ्टिनेंट
Rudraprayag News: उत्तराखंड की बेटियां अपनी लगन और कड़ी मेहनत के चलते सफलता का परचम लहराकर देवभूमि का मान बढ़ा रहीं हैं। इसी क्रम में रुद्रप्रयाग जिले के केदारघाटी की दो बेटियों ने सेना में लेफ्टिनेंट पद हासिल कर माता पिता के साथ ही उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है।
हाट गांव की अंजलि बनी सेना में लेफ्टिनेंट , कड़ी मेहनत से पाया मुकाम
रुद्रप्रयाग जनपद अंतर्गत अगस्त्यमुनि विकासखंड के हाट गाँव की अंजली ने मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज परीक्षा में 328 वीं रैंक हासिल कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद प्राप्त किया है। हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के पुणो स्थित सेना अस्पताल में लेफ्टिनेंट के पद पर ज्वाइन किया है। हाट से रोजाना दो किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती अंजलि ने ठान लिया था कि एक दिन जरूर वो मुकाम हासिल करूँगी, जिससे माता-पिता का सर गर्व से ऊँचा हो जाए। अगस्त्य पब्लिक स्कूल गंगानगर अगस्त्यमुनि से पढ़ी अंजलि ने इंटरमीडिएट करने के बाद अरिहंत कॉलेज आफ नसिर्ंग कनखल हरिद्वार से बीएससी नर्सिंग का कोर्स किया।
वर्ष 2024 में आयोजित राष्ट्रीय मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज परीक्षा, तीस हजार परीक्षार्थियों में 328 वीं रैंक हासिल कर परीक्षा उत्तीर्ण की। अंजलि के पिता मुरारी दत्त गोस्वामी गाँव में इलेक्ट्रिशियन कार्य करते हैं और माता अनीता देवी जूनियर हाईस्कूल में शिक्षिका है। इनकी बड़ी बहन दीक्षा गोस्वामी ने फार्मसिस्ट किया है और छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है।
शिक्षक अखिलेश गोस्वामी कहते है कि अंजलि बचपन से ही मेधावी प्रतिभा की धनी है अपने इस लक्ष्य के लिए उसने कड़ी मेहनत की है। आज वो भारतीय सेना की मेडिकल विंग्स का हिस्सा बनकर अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रेत बन गई है।
देवर गांव की राखी चौहान बनी सेना में लेफ्टिनेंट
जिले के गुप्तकाशी के देवर गांव निवासी राखी चौहान शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना की मेडिकल विंग की परीक्षा पास की है। जिसके बाद वह लेफ्टिनेंट बन गई हैं। ऑल इंडिया मेडिकल विंग में 52वीं रैंक हासिल कर उन्होंने केदार घाटी का नाम रोशन किया है। राखी की सफलता पर उनके गांव में खुशी की लहर है, उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, राखी चौहान ने न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि आज वह अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
राखी चौहान के पिता दिलीप सिंह एक होटल में काम करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। बेटी के चयन पर उनके पिता खुशी से झूम उठे। उनका कहना है कि उनकी बेटी बचपन से ही बेहद शांत स्वभाव की थी।
राखी चौहान की पढ़ाई गुप्तकाशी से हुई है। इसके बाद देहरादून के मानव भारती स्कूल से पढ़ाई की और सुभारती मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग का कोर्स किया। बीएससी करने के बाद उसने सेना में भर्ती होने की तैयारी की और पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली। राखी चौहान का कहना है कि उन्होंने हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर तैयारी की और आज जो मुकाम हासिल किया है, उसके पीछे उनके माता-पिता, गुरु और शुभचिंतकों का बहुत बड़ा सहयोग है, जिनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन में उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
उनका कहना है कि वह हमेशा से ही सेवा के क्षेत्र में काम करना चाहती थीं और सभी के आशीर्वाद से उन्हें अपना लक्ष्य हासिल हुआ है। उनका कहना है कि कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। लक्ष्य की दिशा में हमेशा आगे बढ़ना चाहिए। समस्याओं से घबराना नहीं चाहिए, हमेशा लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए और इसी तरह सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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