लालकुआं: बिंदुखत्ता राजस्व गांव प्रक्रिया बाधित करने की साजिश नाकाम करने को लेकर रणनीति तय

वन अधिकार समिति बिंदुखत्ता के तत्वाधान में अलग-अलग टीमें बनाकर लोगों को एफआरए के संबंध में सात बिंदुओं पर किया जाएगा जागरूक
लालकुआं ( नैनीताल)। बिन्दुखत्ता राजस्व ग्राम की प्रक्रिया को बाधित करने के उददेश्य से कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को रोकने के उददेश्य से वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता की बैठक जल्द ही आयोजित की जायेगी। समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि अलग-अलग टीमें बनाकर नुक्कड सभाएं कर लोगों को एफआरए के सम्बन्ध में निम्न 07 बिन्दुओं पर जागरूक किया जायेगा।
- वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता द्वारा एफआरए की धारा 3-1(ज) के अन्तर्गत राजस्व ग्राम की प्रक्रिया अपनायी जा रही है ना कि वन ग्राम की इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जनजाति मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों के सचिव को प्रेषित पत्र दिनांक 08 नवम्बर 2013 में भी स्पष्ट है।
- एफआरए के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार को राजस्व ग्राम बनाने हेतु वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से राजस्व ग्राम अथवा निर्वनीकरण के अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है जो भी प्रक्रिया होगी वो वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत ही होनी है। इस सम्बन्ध में एफआरए की धारा 4 (7) यह प्रावधान करती है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत निकासी, वन भूमि के विपथन के लिए निवल वर्तमान मूल्य और प्रतिपूरक वनीकरण के भुगतान सहित सभी प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के बिना वन अधिकार प्रदान करता है। एफआरए के तहत वन अधिकारों की मान्यता के लिए वन का अनारक्षण या गैर वन भूमि के रूप में वर्गीकरण सम्बन्धित परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है (विस्तृत उत्तर हेतु जनजाति मन्त्रालय के पत्र दिनाँक 08 नवम्बर 2013 बिन्दु-1 हैं
- एफआरए की प्रक्रिया में 75 वर्षो से एक ही स्थान पर वन भूमि पर कब्जे की कोई बाध्यता नहीं है. जिसे जनजाति मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों के सचिवों को प्रेषित पत्र दिनाँक 08 नवम्बर 2013 के बिन्दु संख्या में स्पष्ट भी किया गया है।
- यह कि मा. विधायक महोदय तथा वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता द्वारा पूरे अध्ययन के बाद ही यह कार्यवाही प्रारम्भ की गयी है जिस कारण दावा निरस्त होने की कोई सम्भावना नहीं है फिर भी यदि भविष्य में 1 प्रतिशत भी ऐसा होता है तो एफआरए 2006 में दावा निरस्त होने पर अतिक्रमण हटाने का कोई प्रावधान या प्रक्रिया नहीं है क्योंकि यह एफआरए का विषय नहीं है। (विस्तृत उत्तर एफएक्यू पेज- 38)
- वन अधिकार समिति द्वारा राजस्व ग्राम का प्रस्ताव संयुक्त रूप से प्रेषित किया गया है जिसका फायदा सभी बिन्दुखत्तावासियों को मिलेगा। कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि इसका फायदा केवल सैकडों वर्षो से निवासरत लोगों को ही मिलेगा जो कि झूठ है।
- इसके अलावा नियमानुसार वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता में केवल 15 ही सदस्य चयनित किये गये है. चूकिं बिन्दुखत्ता लगभग 3200 हेक्टेयर भूमि पर बसा 60 से 70 हजार आबादी वाला क्षेत्र है केवल 15 सदस्य ही आगे की प्रक्रिया को अकेले पूरा नहीं कर सकते है इसलिए 15 गणमान्य लोगों को संरक्षक / सलाहकार सदस्य मनोनीत किया गया था उक्त संख्या को आगे के कार्यो को देखते हुए 50 तक किये जाने हेतु युवा वर्ग को भी वनाधिकार समिति से जोड़ा जायेगा।
- जल्द ही वन अधिकारी समिति बिन्दुखत्ता के द्वारा जागरूकता के उददेश्य से एकदिवसीय वन अधिकार अधिनियम जागरूकता शिविर भी आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जायेगा।
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