बिग ब्रेकिंग : इंतजार हुआ खत्म , पुष्कर सिंह धामी फिर बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
देहरादून। उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर , पुष्कर सिंह धामी होंगे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के नाम का सस्पेंस खत्म पुष्कर सिंह धामी के फिर सजा फिर उत्तराखंड का ताज। मतगणना के 10 दिन बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम की हुई घोषणा।
लगभग 11 दिनों के मंथन के बाद आखिरकार फैसला गया है और पुष्कर सिंह धामी को कह दिया गया हैं की वो सीएम की शपथ लें वही अब 23 को शपथ लेने के बाद पुष्कर धामी 6 महीने के अंदर चुनाव लड़कर विधायक बनाना होगा इसके लिए किसी विधायक की सीट खाली की जाएगी.
इससे पहले चुनाव से 6 महीने पहले ही उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री
पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी 47 साल के धामी उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं । उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट से लगातार दो बार से विधायक बनते रहे हैं लेकिन इस बार चूक गए भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले धामी ने भाजपा की युवा इकाई से राजनीति की शुरुआत की थी और 2002 से 2008 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
युवकों के बीच मजबूत पकड़
युवा मोर्चा का नेतृत्व संभालने के बाद उन्होंने प्रदेश भर में घूम-घूमकर यात्राएं की थीं और बेरोजगार युवाओं को एक साथ जोड़कर बड़ी रैलियां कर युवा नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई थी। प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में ही चुनाव होने हैं ऐसे में युवाओं में उनकी पकड़ को देखते हुए बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया है।
सैनिक परिवार में हुआ जन्म
पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट तहसील के एक गांव में टुण्डी में धामी का जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ था। उन्होंने सरकारी स्कूल में ही अपनी शिक्षा पूरी की। पढ़ाई के दौरान की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्पर्क में आए और 1990 से लेकर 1999 तक परिषद के कार्यकर्ता के रूप में काम किया।
इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े और 2002 से 2008 तक प्रदेश में युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर एकजुट किया। इस दौरान उनकी बड़ी सफलता तत्कालीन सरकार से राज्य के उद्योगों में युवाओं के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करवाना रही।
2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें खटीमा सीट से उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। 2017 में एक बार फिर वे खटीमा सीट से विधायक बने और प्रदेश के मुखिया के रूप में बागडोर उन्हें सौपी गई थी अब चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद फिर उन्हें मौका दें दिया गया हैं।

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