बागेश्वर: जिपं बैठक हंगामा मामला, आरोप- प्रत्यारोप के बीच पक्ष विपक्ष अड़िग
- -विपक्ष पुलिस की एंट्री को आन्दोलन की ढाल बनाकर, सत्ता पक्ष पर दबाव की कर रहे कोशिश।
- -पुलिस अधिकारी बोले शांति व्यवस्था और सुरक्षा देना पुलिस की प्राथमिकता।
बागेश्वर। गत दिनों जिला पंचायत की बैठक में कांग्रेस के सदस्यों द्वारा पुलिस पर अभद्रता के आरोप के मामले को पुलिस अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है तथा जांच प्रारंभ कर दी है।
जांच में जिपं के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को सही करार देते हुए कहा है कि पुलिस ने किसी प्रकार की अभद्रता नहीं की।
बता दें कि गत दिनों जिपं की बैठक के बाद पंचायत कार्यालय में एएमए व अन्य कर्मचारियों के साथ बंद कमरे में बात कर रहे थे तभी उपजिलाधिकारी हरगिरी को जिपं अध्यक्ष ने फोन पर कहा कि उनके अधिकारियों व कर्मचारियों को विपक्षी सदस्यों ने बंधक बनाया है तथा किसी प्रकार की अनहोनी हो सकती है जिस पर एसडीएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस को इसकी सूचना दी जिस पर कोतवाल कैलाश नेगी तुरंत वहां पहुंचे तथा कमरा खुलवाया। इसकेे बाद से विपक्षी जिपं के सदस्य नाराज हो गए व उन्होंने पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए एसडीएम समेत कोतवाल व पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर एक नवंबर से आंदोलन की चेतावनी दी है। इधर पुलिस उपाधीक्षक शिवराज राणा ने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जांच प्रारंभ कर दी है जिसमें अपर मुख्य अधिकारी राजेश कुमार, प्रशासनिक अधिकारी हरीश चंद्र गड़िया व लेखाकार जय जोशी ने अपने अलग अलग बयानों में लिखित रूप से कहा है कि उस दिन बैठक के बाद जिपं उपाध्यक्ष समेत अन्य कुछ सदस्यों ने उन्हें कमरे में रोक दिया तथा दरवाजा बंद करके उनसे कहा कि आपको बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। जिसकी सूचना अध्यक्ष ने प्रशासन को दी तथा पुलिस वहां पहुंची। उन्होंने कहा कि कोतवाल व पुलिस कर्मचारियों ने किसी सदस्यों से वहां किसी प्रकार की अभद्रता नहीं की।
जांच अधिकारी शिवराज सिंह ने बताया कि मामले की जांच उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। इधर अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा पुलिस के पक्ष में बयान देने के बाद मामले में नया मोढ़ आने की संभावना है।
जिपं अध्यक्ष बोली—-
सदन में बजट पारित होने के बाद जबरन ईएमए और अन्य कर्मियों को बंधक बनाए जाने से किसी समस्या का समाधान नही होता है। विधान सभा की तरह मार्शल हो तो जबरन बन्द कमरे में कर्मियों को बंधक बनाए जाने से रोका जाता, जबकि जिपं में जबरन यदि अनैतिक रूप से किसी को बंधक बनाया जाता है तो पुलिस प्रशासन से ही सहयोग लिया जाता है।
वही विपक्षियों द्वारा जबरन नियम विरुद्ध बंधक बनाकर मनमानी को कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा। जिले के उच्च सदन होने के नाते सूचना पर पुलिस द्वारा बंधक बनाए गए अधिकारी कर्मियों को छुड़ाया गया है। साथ ही पुलिस द्वारा किसी प्रकार की बत्तमीजी नही की गई है। विपक्ष के आरोप जनता को भ्रमित कर जबरन पुलिस को मोहरा बनाकर जिपं के विकास कार्यो को रोकना है। बसन्ती देव-जिपं अध्यक्ष-बागेश्वर।
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