हिमालयन संस्कृति का संरक्षण करेंगे तो बचेगा हिमालय
नैनीताल। हिमालय दिवस के अवसर पर यूसर्क (उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च संस्थान) के सौजन्य से एक राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया । विभिन्न संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया। पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी सहित विभिन्न लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्तियों वैज्ञानिकों ने अपने विचार रखे ।
इस अवसर पर बोलते हुए अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि जो विविधता हिमालय में है,वह अन्य कहीं नहीं है। इसका आकर्षण भी ऐसा है कि जो यहां आया है वह यहीं का होकर रह गया। हिमालय में इतना कुछ जानने को है कि, कई कई जन्म लग जाएंगे। इसीलिए हिमालय की आराधना करते रहें।
हिमालय की पुत्र -पुत्रियां सशक्त बनें, हिमालय हम पर अपनी कृपा बनाए रखे।
यूसर्क संस्थान के वैज्ञानिक कुसुम घिल्डियाल ने कहा कि कोविड-19 ने हमें प्रकृति के करीब लाना सिखाया है। प्रकृति के बिना हम अधूरे हैं। मनुष्य और प्रकृति एक दूसरे के पर्याय हैं।यूसर्क संस्थान के प्रयास लोकल से नेशनल लेवल तक पहुंच गए हैं।
वैज्ञानिक मंजू सुंदरियाल ने कहा कि, समुदाय का प्रकृति से गहरा संबंध रहा है। समुदाय प्रकृति के साथ मिलकर हिमालय क्षेत्र की वनस्पतियों को विलुप्त होने से बचा सकते हैं।
वैज्ञानिक भवतोष शर्मा ने कहा कि, हम हिमालय की ही संतति हैं। हिमालय रहेगा तो हम भी रहेंगे ।
उनके द्वारा प्लास्टिक के प्रयोग न करने का आवाहन किया। प्लास्टिक के प्रयोग से ग्लेशियरों में कार्बन ब्लैक बढ़ रहा है। जिससे ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ रही है।
इको क्लब गुनियालेख से जुड़े गौरीशंकर काण्डपाल के द्वारा बताया गया कि, विद्यालयों में संचालित इको क्लब को कला और संस्कृति के साथ जोड़ दिया जाए तो न केवल इसे हम हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को बचा सकते हैं बल्कि, उसे आने वाली पीढ़ी के लिए भी संरक्षित कर सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डॉ० मंजू सुंदरियाल तथा कार्यक्रम संचालक डॉ० ओ पी नौटियाल ने सबका आभार प्रकट किया ।
इस अवसर पर प्रोफ़ेसर दुर्गेश पंत के द्वारा अपने विचारों को व्यक्त किया गया वेबीनार में उपस्थित गणमान्य लोगों में विपिन कुमार सती, डॉ० हेमा बिष्ट, डॉ० कुसुम घिल्डियाल, प्रखर सिंह, प्रतीक्षा महर, जोगेंद्र सिंह रावत, सुधा अवस्थी, शेफाली राना ,श्वेता नौटियाल, आदि उपस्थित रहे ।

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