हल्द्वानी: गौला श्रमिकों के झालों में लगी भीषण आग, सौ से अधिक आशियाने खाक
घरों में रखा राशन ,नगदी, कपड़े बिस्तर समेत समस्त घरेलू सामान हुआ राख , 500 से अधिक श्रमिक हुए बेघर
हल्द्वानी। यहां मोटाहल्दू खनन निकासी गेट पर गौला श्रमिकों की आवासीय झोपड़ियों में अचानक आग लग गई , देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया इस भीषण अग्निकांड में श्रमिकों के 100 से अधिक झोपड़ियां जहां आग की भेंट चढ़ गई वही श्रमिकों के बिस्तर ,कपड़े ,बर्तन ,राशन ,नगदी समेत तमाम घरेलू सामान भी आग में खाक हो गया। इस घटना में 500 से अधिक श्रमिक बेघर हो गए हैं।
सूचना पर पहुंची पुलिस ,प्रशासन व दमकल की गाड़ियों ने बमुश्किल आग पर काबू पाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार की दोपहर गौला खनन निकासी गेट मोटाहल्दू स्थित श्रमिकों के झालों में अचानक आग लग गई, बताया जा रहा है घटना के समय लेबर गौला नदी में रेता बजरी छान रहे थे, सूचना पर आसपास के लोग इकट्ठे हुए तथा श्रमिक भी मौके पर पहुंचे और आग बुझाने के प्रयासों में जुट गए मामले की सूचना पुलिस को दी गई। लेकिन दमकल वाहनों के पहुंचने तक एक के बाद एक दर्जनों झोपडी आग की चपेट में आ गई। स्थानीय ठेकेदार ने बताया कि यहां पर 500 मजदूर रहते हैं तथा उन्होंने करीब डेढ़ सौ झोपड़ियां बनाई हुई है बताया कि एक झाले में 2- 4 श्रमिक रहते हैं। उन्होंने बताया आज दोपहर करीब 12:00 बजे एक झोपड़ी से उठी चिंगारी ने विकराल रूप लेकर सभी डेढ़ सौ झोपड़ियों को खाक में मिला दिया। बताया जा रहा है घटना के करीब पौन घंटे बाद दमकल की गाड़ियों के पहुंचने तक श्रमिकों की सभी झोपड़ियां खाक होने के साथ ही उसमें रखा कपड़े राशन बिस्तर नगदी समेत अन्य घरेलू सामान स्वाहा हो गया। आग में श्रमिकों का कितना नुकसान हुआ है फिलहाल पूरी रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। गनीमत रही कि श्रमिकों के काम पर होने के कारण जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।

सूचना पर तुरंत पहुंचे पूर्व चेयरमैन पवन चौहान एवं एसएसआई रोहताश सिंह सागर
गोला मजदूरों के झाले में आग लगने की सूचना जैसे ही लालकुआं कोतवाली पुलिस को मिली कोतवाली के वरिष्ठ उपनिरीक्षक रोहताश सिंह सागर एवं लालकुआं नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन पवन चौहान दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्वयं आग बुझाने में जुट गए।
इस दौरान पूर्व चेयरमैन पवन चौहान ने कहा कि मजदूरों को हर संभव मदद का प्रयास किया जाएगा उन्होंने मौके से ही इस बाबत उप जिलाधिकारी एवं शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी वार्ता की। तथा अपनी जेब से भी श्रमिकों को आर्थिक सहायता वितरित की।

मजदूरों की नियति बन चुकी है प्रत्येक वर्ष झालों में आग लगना
बताते चलें कि गौला खनन कार्य में लगे श्रमिकों की झोपड़ियों में प्रत्येक वर्ष इसी तरह आग लगना उनकी नियति बन चुकी है। पिछले कई सालों से लगातार हो रही घटनाओं पर अंकुश लगाने का कोई भी प्रयास नहीं किया गया है। और न हीं अग्निकांड पीड़ितों को आर्थिक सहायता मिल पाती है।
हाड़तोड़ मेहनत कर सरकार को करोड़ों का राजस्व दे रहे गौला श्रमिकों का कोई सुधलेवा नही है।
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