हल्द्वानी-शिक्षा और पहाड़ की संस्कृति के लिए समर्पित नमिता
:-सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक कार्यो के लिए बनी प्रेरणा
हल्द्वानी। कोरोना काल में लॉकडाउन के अवकाश के दिनों में जहाँ हमने फेसबुक व सोशल मीडिया के माध्यम से देखा कि लोग घरों में विभिन्न प्रकार की डिश बनाने में मशगूल रहे या किसी अन्य प्रकार से समय व्यतीत करते रहे। लेकिन कुछ लोगों ने इस समय का सदुपयोग अपनी पर्वतीय संस्कृति को आगे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए किया। उन्ही में एक हैं हल्द्वानी की वर्तमान में खन्स्यु के पर्वतीय क्षेत्र में शिक्षिका नमिता सुयाल। नमिता द्वारा पूर्व में सरकारी शिक्षा की और विद्यार्थियों का झुकाव बड़े इसके लिए कई अभिनव प्रयास किये गये हैं और सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्र में विद्यार्थियों को पूरा सहयोग किया गया हैं। नमिता की दिनचर्या में अपनी नौकरी के साथ साथ पहाड़ के आम जनजीवन के साथ जुड़कर पहाड़ के दर्द और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ जुड़कर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना हैं।
उन्होंने बताया कि पूर्व में हम अपने आमा-बूबू (दादा-दादी)व नाना-नानी से पर्वतीय किवदंतियों व कहानियों को सुनते थे पर वर्तमान भौतिकवादी युग मे यह सब छूट गया है। हमारी पीढ़ी के साथ ही सैकड़ो वर्ष पुरानी हमारी यह विरासत समाप्त हो जायेगी। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने फेसबुक यूटयूब के माध्यम से प्रयास किया है और वह पर्वतीय भाषा मे इन कहानियों को आमजन तक पहुंचा रही हैं।

उनकी यह कोशिश जारी हैं और युवाओं में पर्वतीय संस्कृति व संस्कार पहुंचे इसके लिए वह सभी के सहयोग से प्रयास करेंगी।
कोरोना काल मे ऑनलाइन शिक्षा का चलन बड़ा और ऑनलाइन कक्षाएं चलने लगी लेकिन सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्र में विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा तो उनकी सहायता के लिए कई किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद नमिता विद्यार्थियों तक पहुंची और बच्चों को वृक्षों की छाव में बैठाकर पढ़ाया और उनकी समस्या का समाधान किया।
यह वर्तमान में एक शिक्षक के रूप में कम ही देखने को मिलता हैं। उनको पढ़ाने के बाद विद्यार्थियों के साथ स्थानीय खेल और परिवारों की दिनचर्या से जुड़ना वास्तव में नमिता की कार्यशैली प्रेरणा देने वाली हैं।उन्होंने पर्वतीय गाँवो में जाकर बुजुर्गों से बातचीत कर उनके अनुभवों व दर्द को अपने यू ट्यूब चैनल व फेसबुक के माध्यम से आमजन तक पहुंचाने का प्रयास शुरू किया हैं।

नमिता पहाड़ के व्यंजनों व स्थानीय कलाओं से भी सोशल मीडिया के माध्यम से आमजन तक पहुंचा कर पहाड़ से जोड़ने का प्रयास किया हैं। उनके द्वारा पहाड़ में एक परिवार की बेटी को गोद लिया है और उसकी शिक्षा की सम्पूर्ण जिम्मेदारी लेकर ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे को सार्थक करने का प्रयास किया है। उन्होंने ‘आओ खुशियां बाटे’ फेसबुक ग्रुप भी बनाया है जो पहाड़ की संस्कृति से लोगों को जोड़ने का कार्य किया हैं। वह जल्द ही इसी नाम से सामाजिक संस्था का भी गठन कर रही हैं जो पहाड़ व पहाड़ की संस्कृति के संवर्धन के लिए समर्पित होगा। पर्वतीय क्षेत्र की इस जीवट शिक्षिका को सैल्यूट तो बनता ही हैं।

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