बनबसा-नेपाल बार्डर पर कवरेज से रोके जाने पर मीडिया कर्मियों में आक्रोश
बनबसा नेपाल बॉर्डर पर मीडिया कर्मियों के लिए आपातकाल जैसे हालात, सीपीओ स्तर का अधिकारी भी कवरेज रोकने का कर रहा प्रयास,
बनबसा(चम्पावत)- उत्तराखण्ड के बनबसा नेपाल बॉर्डर पर कोविड संक्रमण के बाद मीडिया कर्मियों को कवरेज करने के दौरान आपातकाल सी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। पहले बनबसा बॉर्डर पर जहां एसएसबी द्वारा मीडिया कर्मियों के बॉर्डर इलाके में जाने पर रोक लगाई गई थी। वही अब बनबसा बॉर्डर पर तैनात चैक पोस्ट ऑफिसर(दरोगा) भी मीडिया कर्मियों को बॉर्डर इलाके में कवरेज से रोकने का काम कर पत्रकारों की कवरेज में बाधा डालने का काम कर रहे है। जबकि पूर्व में एसएसबी द्वारा मीडिया के बॉर्डर पर जाने से बैन किये जाने के बाद मीडिया कर्मियों द्वारा उक्त प्रकरण को उच्च स्तरीय अधिकारियों तक पहुँचाने के बाद मीडिया को बनबसा बॉर्डर पर आवागमन व कवरेज चालू हो पाया था।

इस पूरे प्रकरण में बनबसा व्यापारियों द्वारा नेपाल से आने वाले नेपाली नागरिको के कोरोना जांच की मांग के बाद जहां बनबसा बॉर्डर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार नेपाल से आने वाले नागरिको की कोरोना जांच की जा रही है। वही बीते रोज भी कुछ मीडिया कर्मी स्वास्थ्य विभाग की कोरोना सेम्पलिंग की खबर कवरेज करने बनबसा नेपाल बॉर्डर पर पिलर नम्बर सात के करीब स्वास्थ्य विभाग की कोरोना सेंपलिंग के कार्य की कवरेज करने पहुँचे थे। लेकिन जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार कवरेज करने लगे तो बनबसा बॉर्डर पर सीपीओ के पद पर तैनात इंदर सिंह नाम के एसआई द्वारा मीडिया कर्मियों को कवरेज से रोक दिया गया। वही मीडिया कर्मियों को अच्छी तरह जानने के बावजूद वह मीडिया कर्मियों से अभद्र व्यवहार के साथ पूछने लगे की बॉर्डर पर कवरेज करने किसकी परमिशन से पहुँच गए। किस अधिकारी ने उन्हें यंहा आने दिया। वही मीडिया कर्मियों द्वारा सीपीओ को समझाया कि मीडिया को बॉर्डर पर विशेष परमिशन की आवश्यता नही होती है। वह सिर्फ कोरोना सेम्पलिंग की खबर को कवरेज कर रहे है लेकिन उसके बावजूद भी सीपीओ कवरेज रोकते हुए बोले कि वह उन्हें नेपाल बॉर्डर पर कवरेज नही करने देंगे। क्योंकि नेपाल सीमा पर बिना परमिशन कोई मीडिया कर्मी नही आ सकता। मीडिया कर्मियों द्वारा सीपीओ के बॉर्डर क्षेत्र पर मीडिया मामले में अधूरे ज्ञान और उन्हें समझाया गया कि वह लोग पिछले 12 – 14 सालों से बॉर्डर क्षेत्र में ही पत्रकारिता कर रहे है। लेकिन मीडिया कर्मी का परिचय देने के बाद आज तक कवरेज ना करने दिए जाने की स्थिति उनके सामने नही आई। इसलिए वह अपनी संतुष्टि के लिए अपने अधिकारी से अपने अधूरे ज्ञान को दुरस्त कर ले। वही इसके बाद सीपीओ कवरेज ना करने की हिदायत दे मीडिया कर्मियों से अपमान जनक व्यवहार करते रहे। जिसके बाद मीडिया कर्मी अपनी अन्य कवरेज छोड़ वहां से लौट गए।

इस प्रकरण के बाद सीपीओ के मीडिया कवरेज रोकने के मामले पर जब बेबाक उत्तराखण्ड द्वारा जिले के पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह से नेपाल बॉर्डर पर मीडिया के कवरेज को बैन किये जाने बावत सवाल पूछा गया तो एसपी चम्पावत ने कहा कि मीडिया को नेपाल बॉर्डर पर कवरेज करने की कोई मनाई नही है।
कोविड नियमो का पालन कर मीडिया कवरेज कर सकती है। वही उन्होंने सीपीओ बनबसा को भी मीडिया को कवरेज से ना रोके जाने की बात कही।
लेकिन इस पूरे प्रकरण में चेक पोस्ट अधिकारी इंद्र सिंह जिनका मूल काम नेपाल से आने वाले व भारत से नेपाल जाने वाले फॉरेनर्स के दस्तावेज चेक करने का है। लेकिन वह एसपी चम्पावत को बॉर्डर पर अपनी मुस्तेदी दिखाने के चक्कर मे जबरदस्ती मीडिया कर्मियों को उनके कार्य बाधा डालने का काम कर रहे है। जबकि सूत्रों के हवाले से मौके पर मौजूद अन्य कर्मी सीपीओ को जानकारी दे चुके थे कि मीडिया कर्मी बॉर्डर पर कवरेज करते आये है उनको उनका काम करने दीजिए। लेकिन उसके बावजूद यह महानुभाव सीपीओ अधिकारी की ठसक दिखाने के फेर में मीडिया कर्मियों से अपमानजनक व्यवहार करने पर उतारू हो गए। जबकि एसपी चम्पावत के द्वारा मीडिया को कवरेज करने देने के आदेश के बावजूद भी बॉर्डर पर तैनात सीपीओ अपने चेक पोस्ट ऑफिसर ठसक मीडिया को दिखाते नजर आए।
यहाँ पर बड़ा सवाल यह है कि मीडिया को कवरेज से रोकने वाले इस अधिकारी को जहां अपने कार्य क्षेत्र का ज्ञान नही है। वही इस अधिकारी को यह नही पता कि मीडिया को नेपाल बॉर्डर पर कवरेज की परमिशन नही लेनी पड़ती है। सिर्फ देश की सुरक्षा से जुड़े कुछ आवश्यक विषयो पर एसएसबी उन्हें कवरेज करने से मना कर सकती है क्योंकि नेपाल सीमा पर अंतिम पग पर सुरक्षा व अन्य विषय एसएसबी के अधिकार क्षेत्र में आते। लेकिन एसएसबी भी अन्य विषयों पर मीडिया को कवरेज से बैन करने का अधिकार नही रखती है। इसके बावजूद भी सीपीओ स्तर का यह अधिकारी बनबसा बॉर्डर पर कोरोना काल को मीडिया के लिए आपातकाल बना कवरेज से रोकने वाले शूरमा बनने को आमादा दिखे। वही खुद को ड्यूटी पर सजग दिखाने वाले सीपीओ के स्वंयम के ऑफिस के आगे रोजाना जब राज्य सरकार का टैक्स चोरी कर नेपाल सामान ले जाने वाले वाहन जाते है आखिर क्यों सीपीओ साहब उन्हें चेक नही कर पाते, उनके कार्यालय के आगे से ही प्राइवेट वाहन सरकार को राजस्व का नुकसान पहुँचा नेपाल की सवारी ढोने का काम करते उन्हें आखिर क्यों चेक नही किया जाता।क्यों आखिर अपने ऑफिस के बगल के कस्टम के सामने सरेआम चलने वाली वसूली रोकने को सजग नही रहते सीपीओ।केवल मीडिया कवरेज रोक कौन सी कर्तव्य परायणता निभाई जा रही है।
जबकि वही मीडिया कर्मियों से आये दिन बनबसा नेपाल बॉर्डर पर अधिकारियों द्वारा की जा रहे अपमानजनक व्यवहार व कवरेज को रोकने के मामले में जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखण्ड के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण दत्त भट्ट ने भी इस मामले पर आक्रोश व्यक्त किया है साथ ही मीडिया कर्मियों से कार्यस्थल पर कवरेज बाधित कर उनसे अपमान जनक व्यवहार करने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही हेतु उच्च अधिकारियों के समक्ष उक्त मामले को रखने की बात कही है।

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