चंपावत: फायर सीजन को लेकर डीएम ने ली बैठक, अधिकारियों को दिए यह निर्देश
चम्पावत। 15 फरवरी से लगभग 4 महीनों तक फायर सीजन रहता है, इस दौरान वनाग्नि की रोकथाम के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने, उसका क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण किए जाने के संबंध में जिलाधिकारी श्री सुरेंद्र नारायण पांडे की अध्यक्षता में जिला सभागार में मंगलवार देर सायं बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी मयंक शेखर झा ने बताया कि जंगलो में आग लगने के कारण प्राकृतिक और मानवीय रहते है। प्राकृतिक कारणों से आग लगने की संभावना बहुत कम रहती है। परंतु वनाग्नि की प्रबल संभावना मानवीय होती। क्यूंकि आज भी लोगों में प्रचलित मिथक है कि आग लगने से जमीन उपजाऊ होने के साथ ही घास भी अच्छी होती है, परन्तु सही मायने में ऐसा नही होता है। आग लगने से जमीन से पोषक तत्व धीरे-धीरे कम होने, नमी का कम होना तथा जमीन भी कठोर होती है। इस पर जिलाधिकारी ने डीएफओ को निर्देश दिए कि ब्लॉक, पंचायत, तहसील स्तर पर लोगो को जागरूक करने के लिए पम्पलेट वितरित कर लोगों को वनाग्नि न करने के लिए प्रेरित करें और लोगो को वनाग्नि के दुशप्रणाम भी बताए । जिलाधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग, पीएमजीएसवाई, पीडब्लूडी के साथ ही अन्य कार्यदायी संस्था जिनके मजदूर सड़कों के किनारे रहते है उनकी लापरवाही के कारण भी आगजनी की संभावना लगातार बनी रहती है। इसलिए संबंधित ईई को पत्र प्रेषित कर सड़क किनारे कार्य करने वाले मजदूरों को जागरूक करने को कहे। साथ ही अधिशासी अधिकारियों को सड़क के किनारों में कार्य करने वाले मजदूरों के इंचारजो की जिम्मेदारी तय करने के लिए भी कहे। यदि फिर भी इंचार्जों द्वारा इस कार्य मे लापरवाही की जाती है तो उनके खिलाफ कार्यवाही करें।

प्रभागीय वनाधिकारी ने सभी कार्यदायी संस्थाओं से सड़क के किनारों पर पड़े पिरूल को समय से हटाने को कहा, जिससे वनाग्नि पर अंकुश लगाया जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए सभी की सहभागिता आवश्यक है इसलिए डीएफओ को मुख्य विकास अधिकारी, सभी उपजिलाधिकारियों, पटवारियों, वन दरोगा, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, ग्राम प्राधानों से सहयोग लेकर लोगों को वनाग्नि को रोकने के लिए जागरूक करें। सभी विभागों को पत्र प्रेषित कर उनकी जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित को निर्देश देते हुए कहा कि स्कूली बच्चें किसी भी कार्य मे लोगो को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इसलिए बच्चों को वनाग्नि रोकने के लिए जागरूक करने के साथ ही उन्हें अपने घर वालो तथा आस पड़ोस के लोगो को जागरूक करने की लिए प्रेरित करे। उन्होंने डीएफओ को हाइपर सेंसिटिव इलाको में ज्यादा से ज्यादा फोकस करने को कहा। डीएफओ ने बताया कि वनाग्नि को रोकने के लिए उनके पास उपकरणों की काफी कमी है, जिस पर जिलाधिकारी ने डीएफओ को जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर उन्हें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया के अलावा अन्य माध्यमों से यदि कोई व्यक्ति वनाग्नि की भ्रामक खबर फैलाता है तो इसके लिए पुलिस अधीक्षक को सूचित करने के निर्देश दिए। उन्होंने डीएफओ को पशु चिकित्साधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र प्रेषित करने को कहा, जिससे वनाग्नि के दौरान होने वाली पशु एवम मानवीय हानि से तत्परता से उबरने के लिए डॉक्टर की टीम तैयार रखी जा सकें। अस्पतालों में बर्न वार्ड की कमी बताने पर मुख्य चिकित्साधिकारी अधिकारी को जिलाधिकारी ने शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर जिलाधिकारी त्रिलोक सिंह मर्तोलिया, मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र सिंह रावत, सीएमओ डॉ आरपी खंडूरी, मुख्य शिक्षाधिकारी आरसी पुरोहित, उपजिलाधिकारी अनिल गर्ब्याल, उप प्रभागीय वनाधिकारी मनोहर सिंह सेमिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी पीएस बृजवाल, डीडीएमओ मनोज पांडे, वन क्षेत्राधिकारी केआर टम्टा, हेम गहतोड़ी, दीप जोशी, चतुर सिंह, जय प्रकाश आर्य आदि मौजूद थे।
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