Uttarakhand Budget Session: उत्तराखंड विधानसभा में सख्त भू-कानून हुआ पास , जानिए नये नियम
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उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक 2025 सदन में पास हो गया है ।
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में धामी सरकार ने भू कानून पास करा दिया है। उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था संशोधन विधेयक 2025 को सदन में पेश करने के महज 30 मिनट के बाद ही बिना विस्तृत चर्चा के विधेयक पास हो गया। जैसे ही स्पीकर ने विधेयक पारित करने की घोषणा की सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाकर इसका स्वागत किया। विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक पर गहन चर्चा की मांग नहीं की। औपचारिकता के लिए बिल को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव दिया लेकिन संख्याबल के लिहाज से प्रस्ताव खारिज हो गया। इस तरह धामी सरकार भू कानून को पास कराने में सफल रही।
सीएम धामी ने सदन में उत्तराखंड भू कानून को लेकर उत्तर प्रदेश जमींदारी विधेयक 2025 सदन के पटल पर रखा। कानून में किए गए संशोधनों के बारे में जानकारी दी। सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं, जनभावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड के संसाधनों को भू माफिया से बचाने के लिए कोशिशें की जा रही हैं। उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों के साथ ही मैदानी इलाके भी हैं, जिनकी भौगोलिक परिस्थितियां अगल अलग हैं। इसके साथ ही इन्वेस्टर्स को भी ध्यान में रखा जा रहा है। इन सभी मुद्दों को समाहित करते हुए सरकार ने भू सुधार की नींव रखी है। ये एक शुरुआत है। इसके बाद इसमें आगे भी काम किया जाएगा। सीएम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बाहरी लोगों ने जमीनें खरीदीं, जिसका उपयोग नहीं किय़ा जा रहा था। इस कानून के लागू होने के बाद ये समस्या नहीं होगी। इससे भू माफिया को पहचानने में मदद मिलेगी। सीएम धामी ने कहा प्रदेश सरकार लगातार अतिक्रमण हटाने का काम कर रही है।
जानिए नये नियम
हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर को छोड़कर बाकी 11 जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति कृषि और बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
नगर निकाय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी जगहों पर बाहरी राज्यों के व्यक्ति जीवन में एक बार आवासीय प्रयोजन के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकेंगे। इसके लिए उन्हें अब अनिवार्य शपथपत्र देना होगा।
औद्योगिक प्रयोजन के लिए जमीन खरीद के नियम यथावत रहेंगे।
हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में कृषि-औद्यानिकी की जमीन खरीदने के लिए जिलाधिकारी के स्तर से अनुमति नहीं होगी। इसके लिए शासन स्तर से ही अनुमति मिलेगी।
11 जनपदों में 12.5 एकड़ भूमि की सीलिंग खत्म कर दी गई है। हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर में भी 12.5 एकड़ भूमि खरीद से पहले जिस प्रयोजन के लिए खरीदी जानी है, उससे संबंधित विभाग को आवश्यकता प्रमाणपत्र जारी करना होगा। तब शासन स्तर से अनुमति मिल सकेगी।
खरीदी गई भूमि का निर्धारित से अन्य उपयोग नहीं करने के संबंध में क्रेता को रजिस्ट्रार को शपथपत्र देना होगा। भू-कानून का उल्लंघन होने पर भूमि सरकार में निहित होगी।
पोर्टल के माध्यम से भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी होगी। सभी जिलाधिकारी राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट भेजेंगे।
नगर निकाय सीमा के अंतर्गत भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
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