Uttarakhand: अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

कोटद्वार। Ankita Bhandari Murder Case Decision News: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया है। तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
अंकित हत्याकांड के तीनों दोषियों को आजीवन कारावास और जुर्माना की सजा
एडीजे रीना नेगी की कोर्ट ने सुनाई सजा
आज दिनांक 30 /5 /25 को मुकदमा अपराध संख्या 1/22 धारा 302 /201/ 354 ए आईपीसी व 3(1)d अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम बनाम पुलकित आर्य आदि ( अंकिता भंडारी मर्डर केस) में माननीय न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटद्वार महोदय द्वारा
1 अभियुक्त पुलकित आर्य को धारा 302 आईपीसी में कठोर आजीवन कारावास व ₹50000 जुर्माना धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष कठोर कारावास 10000 रुपए जुर्माना धारा 354 ए आईपीसी में 2 वर्ष का कठोर कारावास ₹10000 जुर्माना व धारा 3(1)d आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास वह ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है
2 अभियुक्त सौरभ भास्कर व अभियुक्त अंकित गुप्ता को धारा 302 आईपीसी में आजीवन कठोर कारावास व 50000 रुपए जुर्माना धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष कठोर कारावास व ₹10000 जुर्माना व3(1)d आईटीपीए एक्ट में 5 वर्ष का कठोर कारावास व ₹2000 जुर्माना की सजा सुनाई है
व 4 लाख प्रतिकर मिर्तिका के परिजनों को देना है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के ऋषिकेश में रिजॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या 18 सितंबर 2022 को की गई थी। अदालत ने सोमवार को बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष के बीच आखिरी बहस सुनकर फैसला 30 मई के लिए सुरक्षित रख लिया था। इस मामले की जांच के दौरान एसआईटी ने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कुल 97 गवाहों को नामित किया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इनमें से 47 गवाहों को अदालत में पेश किया गया।
श्रीनगर गढ़वाल की रहने वाली अंकिता भंडारी ऋषिकेश के पास वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं। 18 सितंबर 2022 को उसकी हत्या कर शव चीला नहर में फेंक दिया गया था। एसआईटी की ओर से कोर्ट में दाखिल 500 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया था कि पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर हत्या कर दी थी।
मामले की सुनवाई दो साल और आठ माह चली और इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विवेचना अधिकारी सहित 47 गवाह पेश किए गए।


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