वर्षा का जल जब भी गिरे, जहाँ भी गिरे उसे वहीं संरक्षित करें: जिलाधिकारी

हमारा उद्देश्य केवल जल संरक्षण नहीं, स्वच्छता भी हो: जिलाधिकारी पांडे
Champawat News- जल संरक्षण अभियान-2025 के अंतर्गत एवं स्प्रिंग एंड रिवर रीजुवनेशन अथॉरिटी (SARRA) के तत्वावधान में जल उत्सव पखवाड़ा (1 से 15 जून) के तहत एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का आयोजन आज जिला सभागार में किया गया।
कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ मुख्यमंत्री अनुसचिव सुभाष चंद्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने कहा कि “जल संरक्षण अभियान” मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों का संरक्षण, पुनर्भरण और पुनर्जीवन सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस अभियान की सफलता विभागीय समन्वय एवं जनभागीदारी पर निर्भर करती है।
“वर्षा का जल जब भी गिरे, जहाँ भी गिरे, उसे वहीं संरक्षित करें”, यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। श्री पांडे ने बताया कि जनपद में 98 महत्वपूर्ण जल स्रोतों की पहचान की गई है, जिनका शीघ्र पुनर्जीवन किया जाना है। यदि इन जल स्रोतों की रक्षा नहीं की गई, तो आने वाली पीढ़ियों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री धामी की परिकल्पना है कि जन सहभागिता से हर अभिनव और भागीरथ प्रयास की शुरुआत चंपावत से हो। जल उत्सव पखवाड़े के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाकर जल के प्रति संवेदनशीलता विकसित की जा रही है।
कार्यशाला में मा० विधायक प्रतिनिधि श्री प्रकाश तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए और जल संरक्षण में स्थानीय सहभागिता पर बल दिया।
कार्यशाला का संचालन करते हुए मुख्य कृषि अधिकारी एवं SARRA के नोडल अधिकारी श्री धनपत कुमार ने बताया कि जनपद चंपावत में SARRA की स्थापना की गई है। 1 से 15 जून तक चलने वाले जल उत्सव पखवाड़े के दौरान श्रमदान, स्वच्छता अभियान, सोखते गड्ढों का निर्माण, तालाबों का पुनर्जीवन, वर्षा जल संग्रहण एवं जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि जनपद के चारों ब्लॉकों के ग्राम प्रधानों को जल संरक्षण विषयक जानकारी एवं ‘भगीरथ ऐप’ का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो आगे ग्राम स्तर पर लोगों को प्रशिक्षित करेंगे। गौड़ी नदी और कोलीढेक झील में विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा। वन विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से जनजागरूकता रैलियाँ भी निकाली जाएंगी।
कार्यशाला में नौला फाउंडेशन के राज्य संस्थापक गिरधर बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की पारंपरिक जल विरासत—‘पहाड़, पानी और परम्परा’ को पुनर्जीवित करने का यह प्रयास अत्यंत आवश्यक है। यह अभियान केवल चंपावत ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है।
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष गोविंद सामंत, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जी.एस. खाती, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. देवेश चौहान, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. वसुंधरा गर्ब्याल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमलेश सिंह बिष्ट, सहायक परियोजना निदेशक श्रीमती विमी जोशी, उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी, ईई सिंचाई, ईई लघु सिंचाई, जिला विकास अधिकारी दिनेश सिंह दिगारी, जिला उद्यान अधिकारी मोहित मल्ली, जिला पंचायत राज अधिकारी उमेद जोला, खंड विकास अधिकारी लोहाघाट कवींद्र रावत सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान उपस्थित रहे।


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