चंपावत: चाय पर्यटन सर्किट विकास कार्यों का सचिव ने किया निरीक्षण
स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत चम्पावत में चाय पर्यटन सर्किट विकास कार्यों का सचिव धीराज सिंह गर्ब्याल ने किया निरीक्षण
Champawat News- पर्यटन एवं ग्राम्य विकास सचिव, उत्तराखंड शासन धीराज सिंह गर्ब्याल ने आज जनपद चम्पावत में स्थित चाय बागान का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के अंतर्गत चम्पावत में विकसित किए जा रहे चाय पर्यटन सर्किट की प्रगति का जायजा लिया तथा क्षेत्र में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की।
निरीक्षण के दौरान सचिव श्री गर्ब्याल ने चाय बागान क्षेत्र में निर्माणाधीन एवं प्रस्तावित पर्यटन अवसंरचना कार्यों के साथ-साथ कॉटेज का भी निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी कार्यों को उच्च गुणवत्ता मानकों के अनुरूप एवं निर्धारित समयसीमा के भीतर पूर्ण किया जाए, ताकि क्षेत्र में सतत एवं पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के अंतर्गत चम्पावत क्षेत्र में चाय पर्यटन सर्किट का विकास किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना है।
इस परियोजना के अंतर्गत प्रवेश द्वार (एंट्री प्लाजा), चाय अनुभव केंद्र, जंगल ट्रेल्स, कोबल स्ट्रीट, इको स्टेज, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सुविधाएँ तथा चाय संग्रहालय/व्याख्या केंद्र का विकास किया जा रहा है।
इन सभी कार्यों पर कुल अनुमानित लागत ₹1,989.12 लाख (लगभग ₹19.89 करोड़) है।
निरीक्षण के दौरान सचिव ने क्षेत्र में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की और कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए साहसिक पर्यटन गतिविधियों को विकसित किया जाए, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकें।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना चम्पावत जैसे विशिष्ट क्षेत्र में चाय बागानों को पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी तथा पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और इको-फ्रेंडली पर्यटन अनुभव उपलब्ध कराएगी।
इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी डॉ जी एस खाती, जिला पर्यटन विकास अधिकारी लता बिष्ट, ईई भुवन नैनवाल, केएमवीएन के अधिकारी व कार्मिक उपस्थित रहे।
महिला सहायता समूहों को इंटीग्रेशन एवं क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण से जोड़ें- श्री गर्ब्याल
एकीकृत एवं क्लस्टर मॉडल से महिलाओं के लिए खुलेंगे वर्षभर आय के अवसर

चंपावत। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सचिव द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में विभिन्न विभागों एवं महिला सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टालों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने स्थानीय कृषि एवं उद्यान सहित अन्य उत्पादों के संवर्धन, गुणवत्ता सुधार तथा प्रभावी विपणन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
महिला सहायता समूहों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जिला सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता सचिव, पर्यटन एवं ग्राम्य विकास, उत्तराखण्ड धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा की गई।
उन्होंने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत अपनी माता स्वर्गीय श्रीमती कमला गर्ब्याल के नाम कलेक्ट्रेट परिसर में वृक्षारोपण किया। इसके पश्चात सचिव महोदय द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई।
कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के अंतर्गत महिलाओं की उद्यमशील क्षमता विकसित करने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
सचिव श्री गर्ब्याल ने महिला सहायता समूहों की महिलाओं से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं एवं शंकाओं को सुना तथा कार्यशाला के दौरान ही उनका समाधान सुनिश्चित किया।
उन्होंने ग्रामीण उद्यमों को सशक्त बनाने में रूरल सेंटर इन्क्यूबेटर की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया। साथ ही जनपद में लखपति दीदी की संख्या बढ़ाने, उनकी समस्याओं के समाधान एवं व्यवसायिक गतिविधियों के विस्तार को लेकर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि महिला सहायता समूहों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा जाए, जिससे महिलाओं को नियमित मार्गदर्शन एवं सहयोग मिल सके।
उन्होंने जनपद में समुदायिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समस्त चाय उत्पादन वाले गांवों को चिन्हित कर उन्हें मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। “हिमालय व्यू” वाले टी-गार्डन एवं पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन गांवों के समग्र विकास पर विशेष बल देने के निर्देश दिए।
सचिव श्री गर्ब्याल ने महिला सहायता समूहों से इंटीग्रेशन एवं क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया तथा पर्यटन के साथ कृषि एवं उद्यानिकी को जोड़ने पर जोर दिया।
उन्होंने जनपद में होम-स्टे को पारंपरिक पहाड़ी शैली में विकसित करने, ट्रैकिंग ट्रेल्स के चिन्हीकरण से रोजगार सृजन करने एवं क्लस्टर आधारित प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को होम-स्टे संचालन हेतु तैयार करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि चयनित स्थलों पर होम-स्टे विकास पर विशेष फोकस किया जाए तथा स्थानीय उत्पादों को इस प्रकार विकसित किया जाए कि पर्यटक स्वयं आकर्षित होकर वहां तक पहुंचें। इसके लिए कम्युनिटी बेस्ड मॉडल अपनाते हुए होम-स्टे एवं ग्रामीण विकास को एकीकृत करने पर बल दिया गया।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते हुए सचिव ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि, बागवानी एवं होम-स्टे को अलग-अलग नहीं बल्कि एकीकृत रूप से अपनाना आवश्यक है। सभी गतिविधियों का समन्वय ही वास्तविक आत्मनिर्भरता का आधार बनेगा।
जनपद में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सचिव महोदय ने खिरद्वारी क्षेत्र को ट्राइबल टूरिज्म के रूप में विकसित करने हेतु चरणबद्ध कार्ययोजना तैयार कर प्रभावी ढंग से कार्य करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए, जिससे स्थानीय जनजातीय संस्कृति, परंपराओं एवं आजीविका को बढ़ावा मिल सके।
सचिव श्री गर्ब्याल ने महिलाओं से आह्वान किया कि वे अपनी कमियों की स्वयं पहचान कर उनमें सुधार लाएं तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के माध्यम से बाजार में अपनी सशक्त पहचान स्थापित करें। साथ ही उन्होंने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश देते हुए गांवों के समग्र विकास हेतु प्रत्येक गांव में बैठने योग्य सार्वजनिक स्थलों एवं ओट/छायादार संरचनाओं को सुव्यवस्थित एवं आकर्षक रूप में विकसित करने के निर्देश भी दिए।
इस दौरान जिलाधिकारी मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, मुख्य विकास अधिकारी डॉ जी एस खाती, ब्लॉक प्रमुख अंचला बोहरा, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी सहित बड़ी संख्या मे जनपद के विभिन्न सहायता समूहों की महिलाओं, जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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