नैनीताल: यहां पहाड़ में समुदाय विशेष के जमीन खरीदने मामले की जांच शुरू , पढ़िए क्या है पूरा मामला
नैनीताल। जनपद के धारी के ग्राम सरना में यूपी के अलीगढ़ व संभल आदि के एक समुदाय विशेष के लगभग एक दर्जन लोगों द्वारा 21 व 22 सितंबर को एक साथ अनुसूचित जाति के लोगों की 11 नाली कृषि योग्य जमीन की रजिस्ट्री कराने के मामले में जांच शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने धारी के एसडीएम योगेश सिंह को मामले की जांच सौंप दी है।
इस मामले में डीएम ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर उन्होंने धारी के एसडीएम योगेश सिंह को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। एसडीएम तीन-चार दिन में जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप देंगे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
एसडीएम योगेश सिंह ने बताया कि सरना गांव में अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा समुदाय विशेष को बेची गई जमीन का धारा 143 के तहत भू उपयोग परिवर्तन जेडए अधिनियम के तहत कृषि से अकृषि वर्ष 2015 में ही करा लिया गया था। वर्तमान में इस जमीन का दाखिल खारिज कराने की फाइल तहसीलदार न्यायालय में लंबित है। दाखिल खारिज करने पर कुछ सह खातेधारों तथा परिवार की महिलाओं ने तहसील न्यायालय में शिकायती पत्र देकर आपत्ति दर्ज कराई है। दाखिल खारिज से पहले अब तहसील न्यायालय में इन आपत्तियों पर भी सुनवाई होगी।
भाजपा नेता अजेंद्र अजय लाए थे मुख्यमंत्री के समक्ष यह मामला
नैनीताल, । नैनीताल जनपद के धारी के ग्राम सरना में यूपी के अलीगढ़ व संभल आदि से आए एक समुदाय विशेष के लगभग एक दर्जन लोगों ने एक साथ अनुसूचित जाति के लोगों की कृषि योग्य जमीन की रजिस्ट्री कराई का मामला वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने मुख्यमंत्री तक पहुंचाया।
राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन पर पहले से सख्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले में तत्काल एक्शन लेते हुए जांच के आदेश दे दिए थे।
वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने विगत शुक्रवार को मुख्यमंत्री धामी को इस बारे में एक ज्ञापन सौपा। ज्ञापन में कहा है कि उत्तराखंड जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम-1950 के अनुसार राज्य के अनुसूचित जाति के लोग जिला कलेक्टर की अनुमति के बिना गैर अनुसूचित जाति के लोगों को अपनी अपनी जमीन की बिक्री, उपहार, बंधक या पट्टे पर नहीं दे सकते। लेकिन गत 22 व 23 सितंबर को नैनीताल के सरना गांव में यूपी के समुदाय विशेष के एक दर्जन लोगों ने एक साथ अनुसूचित जाति के लोगों की भूमि की 13 रजिस्ट्री कराई है। आगे भी यहां कुछ और लोगों द्वारा भूमि खरीदने की बात कही जा रही है। इससे स्थानीय लोगों में भय व्याप्त है।

अजेंद्र अजय ने बताया कि इस मामले में कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे संपर्क किया था, जिन्होंने बताया कि बड़ी चालाकी से इस जमीन को कृषि योग्य से गैर-कृषि योग्य बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि जमीन के मालिक, जो कि SC/ST हैं, उनसे जमीन की खरीद के लिए धमकी और लालच का सहारा लिया गया। यहाँ तक कि जमीन मालिकों की पत्नियों ने भी इस मामले में आपत्ति जताते हुए शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने बताया कि इस जमीन के बिकने से उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उस जमीन पर इन्होंने लोन भी ले रखा था। लोगों का कहना है कि जमीन पर कई पार्टनरों का मालिकाना हक था, लेकिन खरीदे जाने से पहले सबकी सहमति नहीं ली गई। उन पार्टनर्स ने भी आपत्ति जताते हुए कलक्टर के दफ्तर में शिकायत दायर की है। इसके अलावा अजेंद्र ने इस जमीन की खरीद के लिए दी गई रकम का भी मुद्दा उठाया।
उन्होंने बताया कि इस जमीन करार में बाजार वैल्यू को वास्तविक मूल्य से 10% कम कर के दिखाया गया है। इसके लिए पेमेंट भी कैश में किया गया था, इसीलिए संदेह पैदा होता है कि जमीन खरीदी किसने। इसके पीछे कुछ गुप्त लोग या संगठन हो सकते हैं। भाजपा नेता अजेंद्र ने बताया कि स्थानीय लोग बाहर के लोगों के नाम रजिस्ट्री करने में सहज नहीं हैं और समुदाय विशेष के लोगों द्वारा बड़ी संख्या में जमीन खरीदे जाने से यहाँ की डेमोग्राफी पर असर पड़ सकता है। स्थानीय लोग उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ मानते हैं, जहाँ बड़ी संख्या में मंदिर और मठ हैं, ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा यहाँ बड़ी संख्या में जमीन खरीदना परेशानी का सबब बन सकता है।
अजेन्द्र अजय ने कहा, “उत्तराखंड दो देशों के साथ अपनी सीमाएँ साझा करता है, ऐसे में यहाँ इस तरह की करतूतों का बढ़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा मुद्दा बन सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह है कि वो जमीन कानूनों को और कड़ा बनाएँ।”
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