Nainital: कैंची धाम मेला , बाबा नीम करौली के दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़

नैनीताल। कैंची धाम में प्रतिष्ठा दिवस पर आयोजित मेले में खासी भीङ उमङ रही है। सुबह 4 बजे से ही बाबा नीम करौली के दर्शन के लिए लोगों की लाइन लग गई थी । कोरोना के चलते दो साल से प्रभावित कैंची धाम स्थापना दिवस के अवसर पर इस बार फिर मेले का आयोजन किया जा रहा है। कैंची में 15 जून यानी आज धूमधाम से स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। बाबा के दर्शन और प्रसाद के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।

भारी भीङ के चलते सुबह से ही भीमताल-भवाली मार्ग पर जाम लग गया था। पुलिस ने बमुश्किल जाम खुलवाया। मंदिर प्रबंधकों के मुताबिक दोपहर बारह बजे तक 50 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट, अपर पुलिस अधीक्षक हरवंश सिंह, डा जगदीश चंद्र, सीओ प्रमोद शाह सुबह से ही कैंची धाम में जमे हुए है। सुबह 4:00 बजे से मंदिर में भक्तजनों की भीड़ जुटने शुरू हो गई थी बाबा के जयकारे के साथ श्रद्धालु आगे बढ़ रहे थे इस बार पुलिस प्रशासन ने भवाली से आगे जाने के लिए सटल बस सेवा लगाई है लोग अपने वाहनों को भवानी पार्किंग में खड़ा कर सटल से कैची मंदिर जा रहे थे इसके अलावा दो पहिया वाहनों को मंदिर से कुछ दूरी पर खड़ा किया गया था l

पिछले दो वर्षों से कोरोना के चलते कैची मेला नहीं हो पाया था जिसके चलते इस बार दो लाख से अधिक की संख्या में भक्त जनों की आने की संभावना जताई गई है आज सुबह से भवाली में जाम लगा जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ी लोग भवाली से पैदल कैची पहुंच रहे थे बाबा के दर्शनों को मंदिर के बाहर 1 किलोमीटर की लंबी लाइन लगी हुई थी हर कोई बाबा के दर्शनों को बेताब था देश के कोने कोने से भक्तजन बाबा के दर्शनों को कैंची मंदिर पहुंचे थे जिला व पुलिस प्रशासन ने कैची मेले की तैयारियों को लेकर एक माह पहले से कसरत शुरू कर दी थी कैची से लेकर भवाली तक चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना ना करना पड़े।

बाबा नीम करोली जी के चमत्कार
बाबा नीम करोली एक चमत्कारिक बाबा थे। उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं। वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे। उनके संबंध में कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं। आओ जानते हैं बाबा नीम करोली जी के संबंध में 10 रोचक बातें।

नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था।
1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे। गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते लगे थे।
एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था। तब बाबा को अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा थोड़ी दूर पर ही अपना चिमटा धरती में गाड़कर बैठ गए। ऑफिशल्स ने ट्रेन को चलाने का आर्डर दिया और गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से नहीं हिली। बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने ऑफिशल्स को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा। ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड का समर्थन किया। ऑफिशल्स ने बाबा से माफी मांगी और उन्हें ससम्मान ट्रेन में बैठाया। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया। नीम करोली वाले बाबा के सैंकड़ों चमत्कार के किस्से हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी।
नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। यहां बाबा का समाधि स्थल भी है। यहां यहां बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। यहां हनुमानजी की मूर्ति भी है।
नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है। कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया।
15 जून को देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां पर देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त आते हैं। इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। देश-विदेश से हजारों भक्त यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमानजी का भी एक मंदिर है। बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के कई मंदिर बनवाए थे।
रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर श्मिरेकल ऑफ़ लवश् नामक एक किताब लिखी इसी में बुलेटप्रूफ कंबलश् नाम से एक घटना का जिक्र है। बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे। आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं।
बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं। जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन हो गया है।
उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है
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