देहरादून: बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम की अधिसूचना हेतु विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

देहरादून। बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम के संबंध में आज शुक्रवार शाम 4 बजे राजस्व, वन और समाज कल्याण विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होनी थी, जिसमें जिलाधिकारी नैनीताल को भी बुलाया गया था। इसी बैठक के मद्देनजर वन अधिकार समिति, बिंदुखत्ता की टीम अपना पक्ष रखने के लिए देहरादून सचिवालय में डेरा डाले हुए थी, लेकिन अपरिहार्य कारणों से बैठक निरस्त हो गई।
इसके बावजूद, वन अधिकार समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से भेंट कर ज्ञापन सौंपा और बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित करने हेतु उत्तराखंड शासन से वन अधिकार अधिनियम (एफ.आर.ए.) 2006 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की मांग की।

ज्ञापन में तीन प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई:
- एफ.आर.ए. 2006 का उल्लंघन – राज्य सरकार ने बिंदुखत्ता की 3470 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग को भेज दिया, जबकि अधिनियम की धारा 6(6) और 4(7) के अनुसार ऐसा करना आवश्यक नहीं है।
- 1975 की रिपोर्ट पर आधारित गलत निर्णय – वन विभाग केवल 136 एकड़ भूमि को मान्यता देकर शेष भूमि को केंद्र सरकार भेजने की तैयारी कर रहा है, जबकि 2006 की रिपोर्ट में 1975 की गणना को अवैज्ञानिक बताया गया था।
- विधानसभा में मुद्दा उठा – 20 फरवरी 2025 को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक महंत दलीप रावत ने इस पर सवाल उठाया, लेकिन वन मंत्री ने भ्रामक उत्तर दिया, जबकि एफ.आर.ए. 2006 के अनुसार, तीन पीढ़ियों से निवास कर रहे समुदायों को अधिकार मिलना चाहिए।
वन अधिकार समिति ने विधानसभा अध्यक्ष से हस्तक्षेप कर अधिसूचना जारी करवाने की अपील की, जिससे 11,703 परिवारों को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
प्रतिनिधिमंडल में अर्जुन नाथ गोस्वामी, उमेश भट्ट, एडवोकेट बलवंत बिष्ट और गणेश कांडपाल शामिल रहे।



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