गुरु पूर्णिमा: सत्य साधक ने की सभी भक्तों के मंगल जीवन की कामना , दिया यह संदेश
- गुरु पूर्णिमा: सत्य साधक ने की सभी भक्तों के मंगल जीवन की कामना , दिया यह संदेश
हल्द्वानी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी ने सभी भक्तजनों की सुख-समृद्धि एवं स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए कहा कि किसी भी विषम परिस्थितियों में जीवन में निराशा का भाव ना आने दे।
सत्य साधक ने अपने संदेश में कहा कि गुरु हमेशा अपने शिष्य को सही राह दिखाते हैं। गुरु जब शिष्य पर कृपा करता है तो उसके सुख-दुख वह खुद अपने हाथों में ले लेता है। उन्होंने कहा कि गुरु की कृपा होती है तभी ईश्वर से साक्षात्कार हो सकता है।
उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस पर हम अपने शैक्षणिक व आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान करते हैं, उनके प्रति अपनी श्रद्धा व आभार प्रकट करते हैं। इस संसार में जब भी हम कोई विषय सीखना चाहते हैं तो हम ऐसे इंसान के पास जाते हैं जो उसमें निपुण हो और हमें भी वो विषय पढ़ा सकता हो । इसी प्रकार एक पूर्ण सतगुरु अध्यात्म के विषय में निपुण होता है और यदि हम अपना आध्यात्मिक विकास करना चाहते हैं तो हमें सतगुरु के पास जाना होता है।
उन्होंने कहा कि सतगुरु दया से भरपूर होते हैं। वे हमें तकलीफ में नहीं देख सकते। सतगुरु हमें कर्मों के कीचड़ से दूर रहने की शिक्षा देने के लिए इस संसार में आते हैं। वे चाहते हैं कि हम कर्मों के चक्र से बाहर निकलें, जिसमें उलझकर हम बार-बार इस संसार में आते हैं। यदि हम इस मानव चोले के उद्देश्य को पूरा करना चाहते हैं और अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करवाना चाहते हैं, तो हमें एक पूर्ण सतगुरु के चरण-कमलों में आना ही होगा । हमें प्रभु से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें शीघ्र अति शीघ्र पूर्ण सतगुरु की शरण में पहुंचा दें ताकि उनके समर्थ मार्गदर्शन में हम जल्द से जल्द अपनी रूहानी यात्रा पूरी कर लें और अपने निजधाम वापस पहुंचकर सदा-सदा के लिए प्रभु में लीन हो जाएं।
सत्य साधक ने कहा विद्यालय के गुरू, आपको स्कूल के बाद क्या करना है, क्या बनना है इसकी शिक्षा देंगे। माता पिता भी गुरू की तरह ही होते हैं। जो समय समय पर मार्ग दर्शन करते हैं। परंतु आध्यात्मिक गुरु एक ऐसा गुरू होता है जो न केवल मोक्ष की ओर अग्रसर करता है बल्कि सभी प्रकार से सुख समृद्धि के रास्ते खोलता है, जन्म मरण से छुटकारा दिलाता है। वह तत्वज्ञान से परिचित करवाता है, भाग्य के कष्टों को दूर करता है और जो भाग्य में न हो वह देता है।
बच्चों को संस्कारवान बनाने का किया आह्वान
गुरु जी ने सभी भक्तजनों से अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ सुसंस्कार का ज्ञान दिया जाना भी नितांत आवश्यक है उन्होंने कहा वर्तमान में शिक्षा का प्रकाश तो तेजी के साथ फैल रहा है लेकिन संस्कारों का ह्रास होते जा रहा है। गुरुजी ने अपने प्रवचन में कहा कि वर्तमान समय में मासूम बच्चों – युवाओं में तमाम अपराध नशे का प्रचलन , आत्महत्या समेत तमाम कुवृत्तियों का जन्म हो रहा है जिसके कारण आए दिन दुखदाई घटनाएं सामने आ रही है जिसका मूल कारण सुसंस्कारों का ह्रास होना है ।
गुरुजी ने कहा बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दें आधुनिक स्कूलों में पढाएं लेकिन संस्कारों का ज्ञान देना कभी ना भूले । सत्य साधक गुरु जी ने कहा बच्चों को बाल्यावस्था से ही पढ़ाई के अतिरिक्त रामायण गीता भागवत समेत तमाम अध्यात्मिक ग्रंथों की जानकारी दें और धार्मिक आयोजनों एवं शक्ति स्थलों में बच्चों को अवश्य अपने साथ ले जाएं उन्हें महापुरुषों के जीवन चरित्र के विषय में बताएं।
गुरुजी ने कहा बच्चों को बड़े बुजुर्गों का आदर करने प्रातकाल माता पिता गुरु को प्रणाम करने गरीब असहाय जनों की मदद करने समेत अन्य सुसंस्कार बचपन से ही देने का प्रयास करना चाहिए।
गुरुजी ने कहा अनुशासन व सुसंस्कार की पाठशाला से निकला हुआ बच्चा ही बड़ा होकर एक महान व्यक्तित्व के रूप में विकसित होता है। इसलिए प्रत्येक अभिभावक को इस गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बच्चों को अनुशासित सद्चरित्र सुसंस्कारवान सनमार्गी बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
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