देहरादून: सैन्य सम्मान के साथ शहीद दीपेंद्र कंडारी पंचतत्व में हुए विलीन ,नम आंखों से अंतिम विदाई
उत्तराखंड के लाल दीपेंद्र कंडारी को श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब
देहरादून। जम्मू-कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए उत्तराखंड के वीर सपूत दीपेंद्र कंडारी का अंतिम संस्कार आज देहरादून के नया गांव स्थित श्मशान घाट पर में सैन्य सम्मान के साथ हुआ। इस दौरान हजारों नम आंखों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश ने देहरादून के शिमला बाईपास स्थित नयागांव रतनपुर में पहुंचकर जम्मू-कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के करछुना गांव निवासी 17वीं बटालियन गढ़वाल राइफल में तैनात हवलदार दीपेंद्र कंडारी के आकस्मिक निधन पर उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित होकर उन्हे पुष्पचक्र अर्पित कर अपनी और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में केंद्र एवं राज्य सरकार परिवारजनों के साथ खड़ी है।
17वीं बटालियन गढ़वाल राइफल में तैनात चमोली जिले के करछूना गांव निवासी हवलदार दीपेंद्र कंडारी शनिवार को जम्मू कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान बलिदान हो गए थे। जवान के बलिदान होने की सूचना से पूरे क्षेत्र में शोक छा गया। आज सुबह देहरादून के नया गांव स्थित श्मशान घाट पर जवान का अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि दीपेंद्र के बलिदान होने का स्पष्ट कारण अभी पता नहीं चल पाया है। परन्तु सेना के अधिकारियों के अनुसार, हवलदार दीपेंद्र सीमा पर गश्त से लौट रहे थे, इसी दौरान उनका पांव फिसल गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। सैन्य अस्पताल में उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर देहरादून लाया गया
दीपेंद्र का परिवार वर्तमान में देहरादून के रतनपुर में रहता है। उनके पिता सुरेंद्र कंडारी सेना से सेवानिवृत्त हैं। बलिदानी दीपेंद्र तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। वे अपने पीछे पत्नी व दो बच्चों को छोड़ गए हैं।
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