चंपावत: मानव–वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए जिलाधिकारी का बड़ा निर्णय
आधुनिक उपकरणों के लिए 22.40 लाख की स्वीकृति
Champawat News- जनपद चम्पावत में बढ़ती मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण एवं ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में जिलाधिकारी मनीष कुमार द्वारा एक महत्वपूर्ण एवं दूरगामी निर्णय लिया गया है। मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी लाने तथा त्वरित एवं सुरक्षित रेस्क्यू कार्यों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी द्वारा वन विभाग को आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता हेतु 22 लाख 40 हजार रुपए की धनराशि आवंटित की गई है।
प्रभागीय वनाधिकारी, चम्पावत द्वारा जनपद में मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में पिंजरे लगाए जाने, वन्यजीवों के सुरक्षित रेस्क्यू एवं संघर्ष की घटनाओं को न्यूनतम किए जाने हेतु जिलाधिकारी के समक्ष विभिन्न आवश्यक उपकरणों की मांग प्रस्तुत की गई थी।
उक्त मांग के अंतर्गत 05 गुलदार पकड़ने हेतु पिंजरे के लिए ₹7.50 लाख, 02 बाघ पकड़ने हेतु पिंजरे के लिए ₹4.00 लाख, 05 ततैया रेस्क्यू उपकरण/सूट हेतु ₹1.50 लाख, ट्रेंक्यूलाइजिंग गन (दवाइयों सहित) हेतु ₹4.00 लाख, 02 भालू पकड़ने हेतु पिंजरे के लिए ₹4.00 लाख तथा 07 वाइल्डलाइफ स्टोर किट हेतु ₹1.40 लाख की आवश्यकता दर्शाई गई थी।
उक्त मांग के क्रम में जिलाधिकारी द्वारा ₹22.40 लाख (रुपये बाईस लाख चालीस हजार मात्र) की धनराशि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चम्पावत को राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) मद अंतर्गत क्षमता विकास मद से प्रभागीय वनाधिकारी, चम्पावत वन प्रभाग को उपलब्ध कराए जाने की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है।
इस स्वीकृति के उपरांत वन विभाग को आधुनिक एवं आवश्यक उपकरण उपलब्ध हो सकेंगे, जिससे मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में प्रभावी रूप से कमी लाई जा सकेगी। ग्रामीण एवं सीमांत क्षेत्रों में गुलदार, भालू, बाघ एवं अन्य वन्यजीवों की आवाजाही से उत्पन्न खतरे पर त्वरित नियंत्रण संभव होगा। पिंजरों एवं ट्रेंक्यूलाइजिंग गन की उपलब्धता से वन्यजीवों को सुरक्षित रूप से पकड़कर आबादी वाले क्षेत्रों से दूर स्थानांतरित किया जा सकेगा। ततैया रेस्क्यू सूट एवं वाइल्डलाइफ किट से रेस्क्यू कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी तथा आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी।
इस पहल से जनपद में जन–धन की सुरक्षा, ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना एवं वन्यजीव संरक्षण—तीनों उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक सिद्ध होगा।
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