हल्द्वानी: उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की प्रबंधक से वार्ता विफल, किया यह ऐलान
आगामी 12 अप्रैल से कुमाऊं में आंदोलन का ऐलान
हल्द्वानी। 26 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन और निगम प्रबंधक की वार्ता विफल हो गई है। वार्ता विफल होने के बाद कर्मचारियों ने 12 अप्रैल से कुमाऊं में आंदोलन का ऐलान कर दिया है। बता दें कि विभिन्न मांगों को लेकर उत्तराखंड परिवहन निगम में कुमाऊं क्षेत्र में निगम प्रबंधक ने उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन संगठन को वार्ता हेतु आमंत्रित किया था। शाम 6 बजे तक वार्ता चली। वार्ता में देहरादून मंडल की ही भांति परिचालक से बुकिंग बुकिंग क्लर्क में प्रमोशन के लिए किलोमीटर की बाध्यता समाप्त करने की मांग की। कर्मचारियों का कहना था कि नैनीताल परिक्षेत्र में बुकिंग क्लर्क के कई पद रिक्त चल रहे हैं। निगम प्रबंधन ने उनकी इस मांग को मानने से इंकार कर दिया जिसकी वजह से वार्ता विफल हो गई। यूनियन के मंडल अध्यक्ष एलडी पालीवाल ने कहा कुमाऊं मंडल में निगम मुख्यालय के आदेशों की अवहेलना हो रही है जिसके चलते संगठन आंदोलन हेतु बाध्य है। निगम प्रबंधक कर्मचारियों के ऊपर तानाशाही रवैया अपना रहा है। निगम प्रबंधन के अड़ियल रवैए के विरोध में कर्मचारियों ने 12 अप्रैल से आंदोलन का बिगुल फूंक दिया।
वार्ता में मंडलीय महाप्रबंधक संचालन यशपाल सिंह, सहायक महाप्रबंधक सुरेंद्र बिष्ट,सुरेश चैहान, इंद्रासन, महेंद्र कुमार, एलडी पालीवाल, राम अवध यादव, हरीश जोशी, गुरुवेल सिंह, नवीन लोहनी, प्रदीप शर्मा, दयाल जोशी, सुरेश चंद, ललित प्रसाद, इकबाल अहमद मौजूद थे।
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सुशीला तिवारी अस्पताल के उपनल कर्मी फिर धरने पर बैठे
हल्द्वानी। मांगों को लेकर डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के उपनल कर्मी फिर धरने पर बैठ गए हैं। उन्होंने सरकार पर उनकी मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कई बार मामले से अवगत कराने के बाद भी उन्हें कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं। गुरुवार की सुबह एसटीएच मे कार्यरत लगभग 700 से ज्यादा कर्मचारी अस्पताल गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों के अचानक हडताल पर चले जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई। वहीं उनके हड़ताल पर जाने से अस्पताल प्रबंधन भी सकते में आ गया। कर्मचारियों का कहना था कि वह पिछले 10-15 सालों से अस्पताल में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न तो उनका वेतन बढ़ाया जा रहा है और ना ही उन्हें स्थायी ही किया जा रहा है। इस संबंध् में शासन प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी उनकी मांगें की अनदेखी की जा रही है। इतना ही नहीं उन्हें वेतन भी तीन से चार महीने बाद ही दिया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना था कि कोरोना काल में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। वह लंबे समय से समान वेतन देने की मांग कर रहे हैं लेकिन इसकी भी सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं, उपनल कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई है। अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों से वार्ता का प्रयास कर रहा है।
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