पिथौरागढ़:-गुप्त नवरात्रि में अत्यंत फलदायी है मां कोटगाड़ी का पूजन
गुप्त नवरात्रियों में अत्यंत फलदायी है मां कोटगाड़ी का पूजन
(अजय उप्रेती)
पिथौरागढ़। आस्था का धाम है मां कोटगाड़ी का दरबार ,गुप्त नवरात्र में माता कोट गाड़ी का स्मरण करने मात्र से समस्त प्रकार के संतापों से मिलती है मुक्ति जनपद पिथौरागढ़ के पांखू नामक स्थान से 2 किलोमीटर दूर है माता कोटगाड़ी का धाम
न्यायकारी देवी के रूप में पूजा जाता है माता कोटगाड़ी को।
देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है दो नवरात्रि प्रचलित है जबकि दो नवरात्र गुप्त माने जाते हैं गुप्त नवरात्र में शक्ति की आराधना का महत्व कई गुना ज्यादा माना जाता है वर्ष में पहली नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से होती है जबकि दूसरा नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से प्रारंभ होता है इसके अलावा जो दो गुप्त नवरात्रि हैं उनमें एक आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में तथा दूसरा माघ मास के शुक्ल पक्ष में होता है वर्तमान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्र चल रहे हैं यह गुप्त नवरात्रि 22 जून से शुरू है और 29 जून को इनका समापन होगा छठवीं तिथि क्षय के होने से गुप्त नवरात्रि 8 दिन तक चलेंगी इसलिए वर्तमान समय में चल रहे गुप्त नवरात्र का पारायण 30 जून की बजाय 29 जून को ही होगा।
गुप्त नवरात्र में जगत जननी जगदंबा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है इसके अलावा 10 महाविद्याओं का भी पूजन किया जाता है नव दुर्गा के जो नौ स्वरूप हैं उसमें शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी तथा सिद्धिदात्री शामिल है जबकि 10 महाविधाओं में काली तारा छिन्नमस्ता षोडसी त्रिपुर भैरवी भुवनेश्वरी धूमावती बगलामुखी मातंगी और कमला है
नवरात्र में शक्ति की उपासना का महत्व बताया गया है जबकि गुप्त नवरात्र में शक्ति की आराधना उपासना और साधना का महत्व कई गुना ज्यादा फलदाई माना गया है देवभूमि उत्तराखंड में शक्ति के कई प्रमुख केंद्र है जहां वर्ष भर पूजा अर्चना का क्रम चला रहता है लेकिन नवरात्र के दौरान इन शक्ति स्थलों में की गई पूजा मनुष्य को समस्त प्रकार के संतापो से मुक्ति दिलाती है और उसे अभीष्ट फल प्रदान करती है।
शक्ति के ऐसे ही प्रमुख स्थल के रूप में विराजमान है जनपद पिथौरागढ़ के पांखू नामक क्षेत्र से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित न्याय कारी देवी माता कोट गाड़ी का दरबार ज्ञान वैभव व शक्ति की दात्री माता कोटगाड़ी के दरबार में की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती है तमाम प्रकार की विषम परिस्थितियों में घिरा मनुष्य यदि सच्चे मन से किसी भी स्थान से कभी भी माता का स्मरन कर ले तो उसके समस्त प्रकार के संकट तत्काल नष्ट हो जाते हैं और उसे आत्मिक संतोष तथा आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है ।
माता कोटगाड़ी दरबार के महंत स्वामी योगानंद महाराज कहते हैं कि माता कोट गाड़ी जगत जननी जगदंबा का ही स्वरूप हो जो इस भूलोक में कोट गाड़ी ब्रह्मलोक में ब्रह्माणी बैकुंठ में सर्वमंगला अमरावती में इंद्राणी और वरुणालय में अंबिका स्वरूपिणि है ।
स्वामी योगानंद महाराज कहते हैं कि जो मनुष्य भक्ति युक्त हृदय से माता कोट गाड़ी को याद करता है वह संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है और लौकिक जीवन में समस्त प्रकार के सुखों का भोग करते हुए अंत में परम गति को प्राप्त होता है उत्तराखंड के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक कोटगाड़ी मंदिर में वर्तमान समय में कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे के चलते भक्त जनों के लिए दरबार को सुरक्षा के लिहाज से नहीं खोला गया है ऐसे में स्वामी योगानंद महाराज ने कहा कि घर पर बैठकर ही नित्य माता कोटगाड़ी का ध्यान करने से भी उन के साक्षात दर्शन का लाभ प्राप्त होगा।
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