नैनीताल: वनाग्नि पर हाईकोर्ट का संज्ञान , पढ़िए सरकार को दिए यह निर्देश
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के जंगलों में लग रही आग पर विभाग का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से छह माह में वन महकमे में 82 प्रतिशत अधिकारी और 65 प्रतिशत फारेस्ट गार्ड के रिक्त पड़े पदों को भरने के निर्देश दिए हैं । उच्च न्यायालय ने प्रदेश के वनों में लग रही भीषण आग का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में लिया। प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक(प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट)को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में वर्चुअली मौजूद रहने को कहा था। पी.सी.सी.एफ.ने मुख्य न्यायाधीश आर.सी.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ को विभाग के वनाग्नि से लड़ने की नीति और तकनीक के बारे में बताया ।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि वर्ष 2016 की भयंकर आग का मामला वर्ष 2017 में उठा था, जिसपर एन.जी.टी.ने 12 बिंदुओं का दिशानिर्देश लागू किये थे जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। पी.सी.सी.एफ.द्वारा न्यायालय को दी गई जानकारियों से असंतुष्ठ न्यायालय ने वन रक्षकों के 65 प्रतिशत और एसिस्टेन्ट कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट(ए.सी.एफ.)के 82 प्रतिशत रिक्त पदों को छह माह में भरने के निर्देश जारी किए हैं । न्यायालय ने सरकार से अपेक्षा की है कि वो पूर्व और वर्तमान में उनके द्वारा की गई जरूरी गाइड लाइनों का पालन करें ।
उन्होंने बताया कि न्यायालय ने एन डी आर एफ और डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित(इक्विपड)करने और उनके लिए परमानेंट बजट का इंतजाम करने को कहा है । न्यायालय ने ये भी कहा कि क्लाउड सीडिंग की नई नीती के बारे में विशेषज्ञ यहां के भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए विचार करें ।
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