डॉक्टर की सलाह: क्या है ब्लैक फंगस, जानिए इसके लक्षण व सावधानियां
नैनीताल। कोविड-19 अब महामारी का रूप ले चुका है और दिन प्रतिदिन इसका भयावह रूप देखने को मिल रहा है कोविड-19 के बाद अब धीरे-धीरे ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस अपने पैर पसारने शुरू कर रहा है
एक्सपर्ट्स के अनुसार जिन लोगों को कोविड-19 दौरान स्टीराइड दवायें जैसे डेक्सामेथासोन मिथाइलप्रेडनीसोलोन आदि दवाओं का सेवन कराया गया है या काफी दिन तक ऑक्सीजन पर रखना पड़ा है या आईसीयू में रखा गया है ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस का इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है डायबिटीज के पेशेंट कैंसर किडनी इत्यादि के मरीजों में इसका खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण -चेहरे में एक तरफ दर्द होना सूजन होना या सुन्न होना दांत में दर्द होना दांत हिलने लगे और चबाने में दर्द होना उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए तो तुरंत डॉक्टर से अपनी जांच जरूर करवाएं।
कोरोना होने पर स्टीरायड का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल भी ना करें कोरोना होते ही तुरंत स्टीरायड बिल्कुल शुरू ना करें यह बीमारी शुरू होने के 7 दिनों बाद डॉक्टर लक्षण देखकर शुरू करते हैं अपनी देखरेख में 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं और करो ना कि हर मरीज को स्टेरॉयड नहीं दिए जाते हैं इसमें थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है यदि हम शुरुआत में ही खांसी जुखाम बुखार जैसे लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह ले ले तो शुरुआती लक्षणों में ही कोरोना कंट्रोल हो जाता है मरीज किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से बच जाता है अतः शुरुआती लक्षणों में ही डरने और छिपाने के बजाय तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और समय से उपचार करवाएं आप जल्द ही स्वस्थ होंगे हमेशा मास्क पहने भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें लोगों से 2 गज की दूरी बनाकर रखें।
ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के लक्षण
-मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है।
-आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है।
-मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
-खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार होता है।
-मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है।
-दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है।
-इतना ही नहीं कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है।
-मरीजों को सीने में दर्द होता है।
-स्थिति बेहद खराब होने की स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है।
घातक संक्रमण से बचाव के लिए यह बरतें सावधानी
-धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करें।
-मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बांह की कमीज और दस्ताने पहनें।
-साफ-सफाई व व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
-कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और मधुमेह रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।
-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।
-फंगल का पता लगाने के लिए जांच कराने में संकोच न करें।
-नल के पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोर्मिकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें तक निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। कई गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
लक्षणों पर नहीं किया गौर तो स्थिति हो सकती है गंभीर
फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द हो सकता है। यह फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगल इंफेक्शन किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, तो उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। फंगल इंफेक्शन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।
भारत में अब तक 200 से अधिक मामले
भारत में अब तक ब्लैक फंगस के दो सौ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं , जबकि उत्तराखंड में भी एम्स ऋषिकेश में 17 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
डॉ.सीमा मधवार
बी.ए.एम.एस.,
डी.एन.वाई. एस.
क्षार सूत्र एवं पंचकर्म चिकित्सा विशेषज्ञ

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