मां बगलामुखी पल भर में दूर करती है सभी दुख: सत्य साधक

देहरादून। Maa Baglamukhi Sadhana: जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने कहा कि
मां बगलामुखी की उपासना जीवन से जुड़े बड़े से बड़े कष्टों को पलक झपकते ही दूर कर देती है। गुरु जी ने कहा घोर संकट में फंसा हुआ जीव सच्चे मन से मां को पुकारता है तो मां बगलामुखी की कृपादृष्टि उसे पल भर में संकट से उबारकर भयमुक्त और कष्टमुक्त कर देती है। गुरुजी ने कहा मां बहुत दयालु है अपने भक्तों पर हर पल कृपा बरसाती है।
गुरु जी ने कहा मां बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहा जाता है। उन्होंने बताया सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है, वो इन्हीं की वजह से है। माँ का यह स्वरूप देवी पार्वती का उग्र स्वरूप है और उनके इस रूप का मुकाबला सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिलकर भी नहीं कर सकती है।
गुरु जी ने मां बगलामुखी देवी के प्रकाट्य को लेकर बताया कि सतयुग में एक बार सम्पूर्ण जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया था। प्राणियों के जीवन पर संकट को देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गये। वे हरिद्रा सरोवर के पास जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिये तप करने लगे। श्रीविद्या ने उस सरोवर से बगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान तुरंत रोका था। चतुर्दशी की अर्धरात्रि में ये अस्तित्व में आई थीं। श्री बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है।
सत्य साधक ने बताया माँ बगलामुखी का स्वरूप
माँ अपने यौवन रूप में हैं और पीले रंग की साड़ी धारण करती हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजती हैं और उनके तीन नेत्र और चार हाथ हैं। उन्होंने सोने के मुकुट और आभूषण धारण कर रखे हैं। उनकी कांति गोरी और स्वर्ण जैसी है। एक राक्षस मातारानी के सामने उनके चरणों में बैठा हुआ है, जिसने अपने एक हाथ में तलवार पकड़ी हुई है। मातारानी ने उसी राक्षस की जीभ पकड़ी हुई है।
सत्य साधक गुरु जी ने मां बगलामुखी साधना के विषय में बताया कि माता की उपासना वाणी की सिद्धी तथा शत्रुओं पर विजय पाने के लिए की जाती है। उनका ये रूप दुष्टों की जिव्हा को पकड़ कर उन पर लगाम लगाने का काम करता है।
सत्य साधक गुरुजी ने बताया कि मां बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला है। यह रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान रहती हैं। हल्दी के समान जल से प्राकट्य के कारण इन्हें पीतांबरा देवी भी कहते हैं। इस महाविद्या की पूजा रात्रि काल में करना विशेष सिद्धिदायक होता है। इनमें संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है। यह भक्तों के भय को खत्म करने वाली और शत्रुओं पर जीत दिलाने वाली और बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं। इन्हें पीला रंग प्रिय है। इसलिए इनकी साधना करते वक्त पीला वस्त्र पहनना चाहिए। इनकी कृपा से वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय मिलती है।
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