धर्म प्रवाह: कोहरे और शीतलहर के बीच राप्ती तट पर साधना में लीन सत्य साधक

- लोकमंगल की कामना को लेकर पावन राप्ती नदी के तट पर कठोर साधना में लीन हुए सत्य साधक गुरुजी
श्रावस्ती(यूपी)। गुप्त नवरात्रि के अवसर पर सत्य साधक श्री गुरुजी पावन राप्ती नदी के तट पर जग जननी मां बगलामुखी (पीतांबरा माई) की साधना में लीन है। भीषण सर्दी में कोहरे और शीतलहर के बीच राप्ती तट पर लोकमंगल की कामना को लेकर विगत 22 जनवरी से गुरुजी साधनारत हैं। नवमी तिथि 29 जनवरी की रात को यहां पर मां बगलामुखी जी के विशेष महायज्ञ का आयोजन होगा जिसके उपरांत 30 जनवरी को प्रसाद वितरण के उपरांत गुरु जी की साधना संपन्न होगी। इस दौरान गुरु जी के परम भक्त बबलू सिंह समेत तमाम भक्तजन मौजूद रहे।
जय मां पीतांबरा साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरु जी ने गुप्त नवरात्रि के अवसर पर राप्ती नदी के तट में लोकमंगल की कामना को लेकर 22 जनवरी को साधना का शुभारंभ किया। सर्दी के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे गुरुजी की साधना अनवरत जारी है।
- सत्य साधक ने सभी भक्तजनों को दिया आशीर्वाद ,सुखमय जीवन की कामना
इस दौरान सत्य साधक गुरु जी ने सभी भक्तजनों के मंगलमय ,सुखमय ,स्वस्थ व उज्जवल जीवन की कामना की है। सत्य साधक श्री गुरु जी ने अपने संदेश में कहा कि ब्रह्मांड के समस्त ग्रह ,नक्षत्र, जीव देवी शक्ति से ही गतिमान है। दूर से दिखने वाले वृहदाकार और तेजस्वि तारे ग्रह वैसे ही सूक्ष्म मानवीय मन का और उसके अंतर्गत आने वाली भावनाओं का जन्म हुआ वह ऊर्जा ही साक्षात देवी है।
- एक ही शक्ति से संचालित हो रहा है समस्त ब्रह्मांड: सत्य साधक
गुरुजी ने कहा यह समस्त ब्रह्मांड एक ही शक्ति से उत्पन्न हुआ है तथा संचालित हो रहा है, और उस एक शक्ति को हम आद्य शक्ति भी कहते हैं। गुरुजी ने कहा इस शक्ति को विभिन्न नाम रूपों में पूजा जाता है कोई इसे मात्र देवी कहता है कोई शक्ति कहता है कोई दुर्गा काली पितांबरी सरस्वती लक्ष्मी गौरी आदि के नाम से पूजता है परंतु हर मान्यता देवी को मां ही मानती है क्योंकि समस्त जड़ व चेतन पदार्थों की उत्पत्ति एक ही शक्ति से हुई है और महाविलय के पश्चात सब कुछ शक्ति में ही खो जाता है। गुरुजी ने कहा नवरात्र का पर्व इस एक शक्ति आदि शक्ति को उजागर करने का शुभ अवसर है वैसे तो यह शक्ति इस ब्रह्मांड के कण-कण में सक्रिय है परंतु मनुष्य इस महा रहस्य से अपरिचित है क्योंकि तमश रजत सत्व गुणों की त्रिगुणात्मकता में ही मनुष्य का मन उलझा हुआ रहता है।
- उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान समेत देश-विदेश में गुरुजी कर चुके हैं निराहार साधना
गौरतलब है कि सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, नेपाल ,भूटान, राजस्थान समेत देश विदेश के तमाम शक्तिपीठों में लोक मंगल की कामना को लेकर निराहार 36 दिवसीय साधनाएं कर चुके हैं। देवभूमि उत्तराखंड की बात करें तो गुरु जी यहां रानीबाग के शीतला देवी मंदिर, लालकुआं के फलाहारी बाबा मंदिर, द्वाराहाट स्थित दूनागिरी मंदिर, श्रीनगर के भीलेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग जनपद स्थित कालीशिला पर्वत, बागेश्वर के मां भद्रकाली मंदिर,डीडीहाट स्थित बाबा मलयनाथ मंदिर ,पुटगांव स्थित ग्वेलज्यू दरबार में मां बगलामुखी जी की साधनाएं कर चुके है। इसके अलावा मध्य प्रदेश स्थित अमरकंटक मंदिर , मध्य प्रदेश के दतिया धाम पीतांबरा पीठ , उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद स्थित सोनपथरी आश्रम , अयोध्या के हनुमानगढ़ी में गुरु जी द्वारा लोक कल्याण के लिए 36 दिवसीय साधना की गई हैं।
- मां बगलामुखी हवन से नकारात्मक शक्तियों का होता है दमन
सत्य साधक गुरुजी का मानना है कि मां बगलामुखी जी की साधना एवं हवन यज्ञ से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही तमाम नकारात्मक शक्तियों का दमन होता है तथा दैवीय आपदाओं के प्रभाव में कमी आती है।
- पावन रात्रि नदी के तट पर वर्ष भर किए जाते है मां बगलामुखी हवन
पवन राप्ती नदी के तट पर लोकमंगल की कामना को लेकर गुरु जी के दिशा निर्देशन में वर्षभर मां बगलामुखी हवन का आयोजन किया जाता है। गुरुजी के निर्देशन में अब तक 1000 बार से अधिक यहां पर साधना के साथ ही हवन आदि कार्यक्रम संपन्न किए जा चुके हैं।





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