डॉक्टर की सलाह:कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक, जानिए कैसे रखें सुरक्षित
नैनीताल। जैसा कि सुना जा रहा है कि कोविड-19 की तीसरी लहर बच्चों के लिए ख़तरनाक है लेकिन इससे भयभीत होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है बस हमें थोड़ी सावधानी रखनी होगी।
कोरोनावायरस की संभावित तीसरी लहर से बच्चों के बचाव के लिए यदि हम कुछ चीजों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित रूप से हम अपने बच्चों को सुरक्षित कर पाएंगे
- नस्य कर्म-
सुबह बच्चों की नाक में अणु तेल या सरसों का तेल डाल दें। फिर 1 मिनट तक उन्हें लेटे रहने दें । उसके बाद फिर जो कफ और तेल गले में आएगा उसे थूकने को कहें।मात्रा
नवजात से 2 वर्ष तक-
एक से दो बूंद
2 वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक –
कम से कम तीन बूंद
10 से 15 वर्ष तक –
तीन चार बूंद
(यदि आपके बच्चे के नाक के अंदर की झिल्ली यानी म्यूकस मेंब्रेन बहुत ज्यादा सेंसिटिव है तो बादाम का तेल भी प्रयोग कर सकते हैं।) - आमला या च्यवनप्राश का प्रयोग करें–
मात्रा –
2 से 3 वर्ष तक–
एक छोटी गोल टेबलेट के बराबर च्यवनप्राश या आमला
3 वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक –
1/2 चम्मच दिन में एक बार
10 से 15 वर्ष तक –
एक चम्मच तक दिन में एक या दो बार
च्यवनप्राश की जगह स्वर्ण सारस्वतारिष्ट" का भी प्रयोग कर सकते हैं --
मात्रा
नवजात शिशु से लेकर 2 साल तक–
1/2 चम्मच स्वर्ण सारस्वतारिष्ट प्रतिदिन
2 साल से 10 साल तक –
एक चम्मच स्वर्ण सारस्वतारिष्ट प्रतिदिन
10 वर्ष से 15 वर्ष तक –
दो चम्मच स्वर्ण सारस्वतारिष्ट प्रतिदिन
- आहार में 1-2 चम्मच घी का प्रयोग अवश्य करें। विशेष रूप से दाल में घी जरूर डालें।
- योगाभ्यास में – सूर्य नमस्कार 2-3 बार
भस्त्रिका प्राणायाम- 2 मिनट
कपालभाति – 3 मिनट
अनुलोम-विलोम- 3-5 मिनट
भ्रामरी- 3 बार
उदगीथ- 3 बार
आदि का नियमित अभ्यास करवायें। - जैसे ही गले में चुभन/खराश/दर्द/खाना निगलने में दिक्कत या फिर खांसी शुरू हो, तो तत्काल ही 1 गिलास गर्म पानी में एक चौथाई चम्मच सेंधा नमक और एक चौथाई चम्मच हल्दी का पाउडर डालकर उस पानी से गरारे करवाएं।
- सप्ताह में 1 या 2 बार पूरे शरीर पर सरसों /तिल या महानारायण तेल की मालिश करें।
- जंक फूड बंद कर दें।
- पेट साफ रहना बेहद जरूरी है। इसके लिये मुनक्के का प्रयोग कर सकते हैं। इससे पेट साफ रहता है साथ ही फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क भी मजबूत रहते हैं।
अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।
इस सबके साथ ही सफेद फूल वाली वासा/ अड़ूसा/बांसा के पौधे को घर में गमले आदि में लगाकर रखें।
वासा के पत्तों का रस सभी प्रकार की खांसी(सूखी या बलगम वाली) हो, सांस फूलती हो, खांसी में रक्त भी आता हो, इन परिस्थितियों को ठीक करता है। साथ ही हानिकारक सूक्ष्म जीवों (micro organisms) को भी नष्ट करता तथा हृदय को भी बल देता है। यानी कोविड-19 से जुड़ी हुई विभिन्न परिस्थितियों में ये बेहद काम की दवा है। अच्छी बात यह भी है कि यह पौधा पूरे भारतवर्ष में, यहां तक कि 4000 फीट की ऊंचाई तक के पर्वतीय इलाकों में भी पाया जाता है।
आइये अब ये जानते हैं कि तीसरी लहर में इस पौधे के पत्ते आपके बच्चों और आपकी सुरक्षा के लिए कैसे काम आयेंगे? इसके लिए इसके पत्तों का रस निकालकर शहद के साथ या बगैर शहद के बच्चों को पिलाना होता है। इसकी मात्रा छोटे बच्चों को एक चम्मच और 5 साल से बड़े बच्चों को दो चम्मच और 10 साल से बड़े बच्चों को तीन चम्मच तक दे सकते हैं। ये मात्रा दिन में 2 बार तक दे सकते हैं।
उपरोक्त चीजों का आप बच्चे के अवस्था अनुसार कम या ज्यादा कर सकते हैं
डॉ.सीमा मधवार
बी.ए.एम.एस.,
डी.एन.वाई. एस.
क्षार सूत्र एवं पंचकर्म चिकित्सा विशेषज्ञ



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