हल्द्वानी (ब्रेकिंग):- पूरा जंगल छान मारा ,नहीं मिला घायल नरभक्षी गुलदार
शिकारी की गोली से घायल गुलदार को ढूंढने में वन विभाग के छूटे पसीने , पूरा जंगल छान मारा , नहीं मिला कोई सुराग
(क्राइम रिपोर्टर-दीपक भंडारी)
हल्द्वानी। शिकारी की गोली से घायल गुलदार आखिर कहां गया, यही चर्चा हर शख्स की जुबान पर है। पूरे 24 घंटे से वन विभाग और शिकारियों की टीम घायल गुलदार को खोजने में लगी है लेकिन उसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। गोली लगने के बाद से वन विभाग और शिकारियों की टीम घयल गुलदार को लमजाला और कुनमुनिया के जंगलों में खोज रही है।
बता दें कि गुलदार को आदमखोर घोषित करते हुए उसे जब से मारने के आदेश हुए हैं तभी वन विभाग की टीम दो शिकारियों के साथ जंगलों की खाक छान रही है। पूरे जंगल में कांबिंग शुरू कर दी गई। चप्पे-चप्पे पर नजर रखी गई।

सोमवार शाम लगभग साढ़े सात बजे एचएमटी फैक्ट्री के पास लमजाला के जंगल में गुलदार दिखाई दियाा था जिसके बाद शिकारी विपिन चंद्र ने उस पर गोली दाग दी। गोली गुलदार के किस हिस्से पर लगी यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन मौके से मिले खून के धब्बे और बाल इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि गुलदार को गोली तो लगी है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि गोली कहीं गुलदार को छूकर तो नहीं निकल गई। अगर गुलदार के कंधे या इससे निचले हिस्से में गोली लगती तो वह अब तक ढेर हो चुका होता। घायल गुलदार की तलाश में 24 घंटे गुजर चुके हैं लेकिन घायल गुलदार को ढूंढा नहीं जा सका है। इससे यह साफ होता है कि गोली गुलदार को छू कर निकल गई। अगर ऐसा है तो गुलदार अब और भी ज्यादा घातक हो गया होगा।
मंगलवार की सुबह जिस गुलदार ने हैड़ाखान में गौशाला में घुसकर गाय को मारा डाला और प्रतापगढ़ी क्षेत्र में भी गुलदार का दिखाई देना इनकी अधिक संख्या की ओर इशारा कर रहा है। संभावना जताई जा रही है कि यह वही गुलदार हो सकता है जिसने गौला बैराज के जंगल में महिला को मौत के घाट उतारा था। वहीं प्रतापगढ़ी में दिखाई दिया गुलदार वही है जिसे शिकारी ने गोली मारी है।

हैड़ाखान में भी गुलदार की दस्तक , गाय को बनाया निवाला
हल्द्वानी। काठगोदाम, गौलापार, रानीबाग के साथ ही गुलदार की धमक हैड़ाखान में सुनाई देने लगी है। जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। बताया जा रहा है कि मंगलवार की सुबह गुलदार ने हैड़ाखान में अपनी दस्तक देते हुए गाय को निवाला बना दिया। बताया जा रहा है कि सुबह सवेरे गुलदार भवान सिंह संभल के घर के पास बने गौशाला में जा घुसा और उसने गोठ में बंधीं गाय पर हमला कर उसे मार दिया। गाय का शोर सुनकर परिजन बाहर आए और उन्होंने हल्ला मचाना शुरू कर दिया जिसके बाद गुलदार वहां से भाग खड़ा हुआ। गांव में गुलदार की धमक के बाद ग्रामीणा में दहशत व्याप्त हो गई है। वहीं सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई और पूरे इलाके की कांबिंग शुरू कर दी। गुलदार की आहट के बाद ग्रामीण अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
गौलापार में शावकों के साथ बाघिन की चहल कदमी
हल्द्वानी। गौलापार सुंदरपुर रैक्वाल पंचायत के प्रतापपुर गांव में अब शावकों के साथ बाघिन की दस्तक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। मंगलवार को सूचना पर वन विभाग की टीम प्रतापपुर गांव पहुंची और खेतों में बाघिन और उसके शावकों के पंजों के निशान देखे।

सोमवार शाम को गांव की महिलाएं खेतों में काम कर रही थी, इस दौरान बाघिन की दहाड़ सुनाई देने के बाद उनमें दहशत व्याप्त हो गई। ग्राम प्रधन उमा रैक्वाल ने वन विभाग को सूचना दी जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। खेत में कई जगहों पर बाघिन और उसकेे शावकों के पंजों के निशान पाए गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नीरज रैक्वाल ने बताया कि बाघ ने दो दिन पूर्व प्रेम सिंह के कुत्ते को मार दिया था जिसके अवशेष खेत में मिले हैं। सोमवार की शाम को गांव में बाघ की दहाड़ सुनाई देने के बाद गांव में भय का माहौल पैदा हो गया। वहीं आज सुबह भी महिलाएं जब खेतों में काम करने के लिए गई तभी उन्हें दहाड़ की आवाज सुनाई दी तो महिलाएं वहां से भाग खड़ी हुई और उन्होंने इसकी सूचना ग्राम प्रधन व स्थानीय लोगों को दी। ग्राम प्रधन ने वन विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग और ग्रामीणों ने खेतों का जायजा लिया तो मौके पर पंजों के निशान मिले।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघिन के साथ दो शावकों के होने की संभावना है। अध्किारियों ने बताया कि शावकों को बाघ के हमले से बचाने के लिए बाघिन उन्हें यहां लेकर पहुंच गई हो। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों के साथ पूरे क्षेत्रा में कांबिंग भी लेकिन बाघिन और उसके शावकों का सुराग नहीं मिल पाया। कांबिंग के दौरान ग्राम प्रधान उमा रैक्वाल, नीरज रैक्वाल, धर्मेन्द्र रैक्वाल, बीडीसी सदस्य जसविंदर सिंह, राजू पाण्डे भी शामिल थे।

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