वाइल्डलाइफ मॉनिटरिंग सेल एम स्ट्राईप मोबाइल ऐप से करेगा जंगलों की निगहबानी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अधिकारियों ने दिए टिप्स
हल्द्वानी। अब वाइल्डलाइफ मॉनिटरिंग सेल जंगलों की निगरानी एम स्ट्राईप मोबाइल ऐप के द्वारा करेगा। इसी परिपेक्ष में जंगलों की गस्त एम स्ट्राइप मोबाइल एप के द्वारा जंगलों में जल्द प्रारंभ की जाएगी।
विभागीय वनाधिकारी हल्द्वानी डिवीजन कुंदन कुमार के निर्देश के बाद नंधौर वन्य जीव अभ्यारण के चार रेंज में इसकी शुरुआत की जाएगी।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के द्वारा नंधौर,डांडा और छकाता, और जौलासाल के अधिकारी एवं कर्मचारियों को एम स्ट्राईप मोबाइल ऐप के बारे में विस्तार से बताया गया।
इस दौरान डब्लू डब्लू एफ के कोऑर्डिनेटर स्पेसिस कंजर्वेशन मिराज अनवर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मोबाइल ऐप का उद्देश्य जंगलों में प्रत्येक दिन बीट में गस्त का डाटा रेंज कार्यालय वाइल्डलाइफ मॉनिटरिंग सेल में पहुंचे जिससे पूरे महीने का डाटा निकाल कर एनालिसिस किया जाए कि कितने किलोमीटर वन क्षेत्र गश्त में कवर किया गया।
उन्होंने कहा की गश्त के दौरान देखे जाने वाटर सोर्स, मानवीय व्यधान आदि का डाटा भी एकत्र किया जा सके।उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि नंधौर वन्य जीव अभ्यारण का डाटा एकत्र किया जाना हो तो वह आसानी से उपलब्ध किया जा सके।
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जंगली बिल्लियों से बचाव अभियान की जानकारी दी
वन्य जीव प्रबंधन पर व्याख्यान
पंतनगर।
पंतनगर विश्वविद्यालय में चल रही राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) की संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) के तहत आयोजित कौशल विकास प्रयासों की श्रृंखला में पंतनगर सेन्टर भवन में वन्य जीव प्रबंधन पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
व्याख्यानकर्ता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और वर्तमान में उत्तराखंड सरकार के उप-मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, डा. योगेश भारद्वाज थे। व्याख्यान के बाद डा. भारद्वाज ने विचार-विमर्श के दौरान विद्यार्थियों को वन्य जीवों के प्रबंधन के सभी पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने पशुओं के बचाव केंद्र, नसबंदी केंद्र, इन-सीटू और पूर्व-सीटू सेटिंग्स के रूप में विभिन्न कार्य स्थलों में एक वन्य जीव पशु चिकित्सक के कार्य, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के पहलुओं को बहुत दिलचस्प तरीके से बताया। एक वन्य जीव उत्साही होने के नाते उन्होंने प्रतिभागियों को वन्य जीवों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए अपनी व्यक्तिगत अंतःदृष्टि का प्रयोग करने को कहा तथा अपने अनुभवों को भी साझा किया।
डा. भारद्वाज ने जंगल में जंगली बिल्लियों के बचाव अभियान के दौरान उपयोग किये जाने वाले पोर्टेबल उपकरणों और उपकरणों को उपयोग करते समय प्रयोग की जाने वाली सावधानियों के बारे में प्रदर्षन करके बताया। परियोजना अधिकारी डा. एस.के. कश्यप ने कहा कि इस परियोजना का महत्वपूर्ण उद्देश्य विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच अभिनव सोच को बढ़ावा देने और सीखने के अनुभव पैदा करना है।
नोडल अधिकारी अकादमिक डा. एस.के. गुरु ने प्रतिभागियों को कहा कि इस तरह के आयोजनों से विद्यार्थियों को भविष्य में विभिन्न अवसरों का पता लगाने में मदद मिलेगी। पशुधन प्रबंधन विभाग के प्राध्यापक डा. एस.के. शर्मा ने कहा कि व्याख्यान का उद्देश्य विद्यार्थियों को जंगली जानवरों के स्वभाव और प्रबंधन के पहलुओं को समझने में मदद देना था।
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