धर्म प्रवाह :-सत्संग से होती है ईश्वर की प्राप्ति: महात्मा सत्यबोधानंद
सत्संग से होती है ईश्वर की प्राप्ति: महात्मा सत्यबोधानंद
(हरीश भट्ट)
लालकुआं(नैनीताल) मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरुदेव सतपाल महाराज के परम शिष्य महात्मा सत्यबोधानंद ने सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि सत्संग से ईश्वर की प्राप्ति होती है जिसकी महिमा को समस्त वेद पुराणों में गाया गया है ।

महात्मा सत्यबोधानंद यहां इंदिरानगर द्वितीय में आयोजित सद्भावना सत्संग सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता उद्बोधन दे रहे थे उन्होंने कहा कि अध्यात्म के द्वारा ही श्रेष्ठ मानव जीवन जिया जा सकता है और अध्यात्म का व्यक्ति के जीवन में समावेश तब होता है जब उसे सत्संग का सानिध्य प्राप्त होता है । उन्होंने कहा कि देवता तक सत्संग के लिए तरसते हैं क्योंकि स्वर्गलोक में समस्त सुख संपदा हैं लेकिन सत्संग का अभाव है उन्होंने कहा कि मानव जीवन को इसीलिए धन्य कहा गया है क्योंकि उसके जीवन में सत्संग को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है ऐसे में मनुष्य को कभी भी सत्संग के अवसर को नहीं खोना चाहिए।
इस दौरान महात्मा प्रभाकरानंद ने भी सत्संग की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर केशव दत्त कांडपाल , चंद्र बल्लभ गुरुरानी, जगदीश चंद्र, दीपक उमेद सिंह रावत ,स्वामीनाथ,पंडित ,संपूर्णानंद कांडपाल ,राजेंद्र सिंह चौहान ,चंद्रशेखर भट्ट, भुवन ,बसंती कांडपाल, कमला ,भावना, भारत ,हिमानी ,पंकज ,मनीष, डिंपी ,ललित जोशी ,गोविंदी देवी , पुष्पा देवी ,गंगा देवी ,अंजू पंत ,कुंवर सिंह, हीरा बल्लभ जोशी ,हरीश दानू समेत अनेकों प्रेमीजन मौजूद थे।
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