ब्रेकिंग:जंगल के रास्ते घरों को रवाना गौला श्रमिक, मौके पर पुलिस-पढ़ें पूरी खबर
जंगल के रास्ते घरों को रवाना गौला श्रमिक ,घर जाने की जिद पर अड़े गौला श्रमिक, पुलिस ने बमुश्किल समझा-बुझाकर वापस लौटाया, श्रमिकों की हर संभव मदद में जुटा है जिला प्रशासन
हल्द्वानी। यहां गौला नदी में फंसे श्रमिकों की शासन प्रशासन द्वारा हर संभव मदद के बावजूद वह अपने घरों को जाने की जिद पर अड़े हुए हैं।
आज सुबह तड़के गौला नदी के लालकुआं ,हल्दूचौड़ ,देवरामपुर ,बेरीपडाव निकासी गेट से 200 से अधिक श्रमिक बिना अनुमति के जंगल के रास्ते अपने घरों को रवाना हुए।
जैसे ही मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को मिली,
हल्दूचौड़ चौकी प्रभारी जगबीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची तथा बमुश्किल हल्दूचौड़ व देवरामपुर गेट के लगभग 150 श्रमिकों को गौलानदी पार 2 किलोमीटर भीतर जंगल से समझा बुझाकर रोककर वापस लौटाया गया।
गौरतलब है कि यहां गौला नदी में बाहरी प्रांतों के सैकड़ों श्रमिक मौजूद हैं। जिला प्रशासन , वन विकास निगम एवं स्थानीय समाजसेवियों द्वारा श्रमिकों के खाने-पीने व स्वास्थ्य को लेकर हर संभव मदद की जा रही है।
विगत दिवस यूपी के तमाम जनपदों के श्रमिकों को प्रशासन द्वारा बसों के माध्यम से उनके घरों को रवाना भी किया जा चुका है लेकिन अभी भी यूपी बिहार बलिया छत्तीसगढ़ के 1500 श्रमिक गौलानदी में बताए जा रहे हैं।
स्थानीय पुलिस प्रशासन , वन विकास निगम के साथ ही , गोला खनन समिति के पदाधिकारी व क्षेत्रीय समाजसेवी गौलानदी श्रमिकों के भोजन राशन समेत तमाम जरूरत का सामान मुहैया कराने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं।
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यदि सभी सुविधाएं खाने-पीने आदि से तात्पर्य है यदि मिल रहा है तो वह अपना जान जोखिम में डालकर जंगल के रास्ते जोकि जंगली जानवरों का निवाला भी बन सकते हैं क्यों जा रहे हैं बहुत बड़ा सवाल है एवं प्रशासन पर सवालिया निशान लगाता है यदि सब कुछ ठीक है तो यह लोग चोरी चुप क्यों जाना चाहते हैं इस की गहराइयों में जाना होगा सरकार के दावे करने में वज़न ने जमीनी हकीकत में बहुत ही अंतर होता है यह उसी का दुष्परिणाम है लोग मजबूर हो गए हैं जान बचाने के लिए
उत्तराखंड सरकार जिस तरह से यूपी के बरेली बदायूं पीलीभीत इत्यादि जगहों पर लेबरों को रोडवेज की बसों के द्वारा भेजा गया ठीक उसी तर्ज पर इन्हें भी तो भेजा जा सकता था या है पता नहीं सरकार की मंशा क्या है